अमेरिकी जिला न्यायाधीश पॉल फ्राइडमैन और डोनाल्ड ट्रम्प (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
वाशिंगटन डीसी: अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को न्यायपालिका से बड़ा झटका मिला है। एक संघीय अदालत ने उनके उस कार्यकारी आदेश पर रोक लगा दी है, जिसके तहत विदेश सेवा कर्मचारियों से संघ बनाने और सामूहिक बातचीत का अधिकार छीना जा रहा था। अदालत ने साफ किया कि यह अधिकार संवैधानिक है और जब तक इससे जुड़ा मामला पूरी तरह समाप्त नहीं होता, तब तक सरकार इसे लागू नहीं कर सकती। इस फैसले ने ट्रंप प्रशासन के कदम को असंवैधानिक ठहराते हुए कर्मचारियों के अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया है।
ट्रंप का यह आदेश विदेश विभाग और USAID जैसी एजेंसियों के कर्मचारियों पर असर डालता, जो दशकों से संघ बनाकर काम की शर्तों पर चर्चा करते आए हैं। अदालत के अनुसार, प्रशासन ऐसी किसी प्रक्रिया को बाधित नहीं कर सकता जिससे कर्मचारियों की आवाज दबे। अब यह मामला न केवल प्रशासनिक रवैये बल्कि लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा का उदाहरण बन गया है।
सामूहिक अधिकार पर न्यायिक मुहर
संघीय न्यायाधीश ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रशासन को किसी भी सूरत में श्रमिकों से उनके सामूहिक बातचीत का अधिकार नहीं छीनना चाहिए। यह आदेश अदालत में दायर उस याचिका पर आया जिसमें बताया गया था कि कार्यकारी आदेश से कर्मचारियों की बातचीत की परंपरा खत्म हो जाएगी और वे अपनी शिकायतें या सुधार की मांग नहीं कर पाएंगे।
ट्रंप प्रशासन की दलील और उसका विरोध
सरकारी वकीलों ने तर्क दिया कि राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी एजेंसियां संघीय समझौतों की वजह से बाधित हो रही हैं। वहीं वादी पक्ष का कहना है कि ट्रंप प्रशासन का यह कदम राजनीतिक प्रतिशोध की तरह है, जिसमें कर्मचारियों की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। न्यायालय ने इस पर सहमति जताते हुए प्रशासन के आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी है।
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साथ ही यूनियन वकीलों का कहना है कि विदेश सेवा कर्मचारियों से यूनियन बनाने और बातचीत करने का अधिकार छीन लिया गया है, जबकि प्रशासन कर्मचारियों की कार्य स्थितियों और रोजगार में लगातार बदलाव कर रहा है। पिछले महीने भी, एक अलग मामले में, जज फ्राइडमैन ने सरकार को संघीय कर्मचारियों से सामूहिक सौदेबाजी के उनके अधिकार को छीनने से अस्थायी रूप से रोक दिया था।