कांग्रेस सांसद शशि थरूर (फोटो सोर्स- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: दिल्ली में कांग्रेस कार्यसमिति की अहम बैठक के दौरान एक बार फिर पार्टी के भीतर मतभेद उजागर हुए। इस बार मुद्दा बना ऑपरेशन सिंदूर, जिस पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर के बयान ने नई बहस छेड़ दी है। थरूर ने केंद्र सरकार की कार्रवाई की सराहना की थी, जिसे लेकर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने नाराजगी जताई। कांग्रेस ने स्पष्ट कहा कि यह वक्त व्यक्तिगत राय देने का नहीं, बल्कि पार्टी की एकजुट राय रखने का है। बैठक में यह भी आरोप लगाया गया कि सरकार इस सैन्य अभियान का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश कर रही है।
कांग्रेस की बैठक में यह चिंता भी सामने आई कि पार्टी के कुछ नेता अलग-अलग सुर में बोल रहे हैं, जिससे सार्वजनिक छवि प्रभावित हो सकती है। इसमें थरूर की तारीफ को लक्ष्मण रेखा पार करना बताया गया। पार्टी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर हमारे सैनिकों की वीरता का प्रतीक है और इस पर किसी भी पार्टी का दावा नहीं हो सकता। साथ ही यह भी तय किया गया कि भविष्य में इस तरह के मामलों पर बयानबाजी बेहद सोच-समझकर की जाए।
थरूर के बयान से मचा बवाल
8 मई को ऑपरेशन सिंदूर पर शशि थरूर ने केंद्र की प्रेस ब्रीफिंग को सराहनीय बताया था। उन्होंने कहा था कि यह संदेश पाकिस्तान और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए था कि भारत आतंक के खिलाफ एकजुट है। थरूर ने स्पष्ट किया था कि यह कोई धार्मिक संघर्ष नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ देश की साझा लड़ाई है। उन्होंने यह भी जोड़ा कि भारत युद्ध नहीं चाहता, लेकिन यदि मजबूर किया गया तो कार्रवाई को तैयार है।
कांग्रेस की नाराजगी और संदेश
बैठक में यह बात जोर देकर कही गई कि थरूर जैसे वरिष्ठ नेता को पार्टी की लाइन से हटकर बयान नहीं देना चाहिए। कांग्रेस ने सरकार पर यह भी आरोप लगाया कि वह सेना के ऑपरेशन को अपनी उपलब्धि के तौर पर पेश कर रही है, जो सरासर गलत है। पार्टी ने यह भी दोहराया कि ऑपरेशन सिंदूर सेना की बहादुरी का परिणाम है, न कि किसी राजनीतिक दल की रणनीति का।