
डोनाल्ड ट्रंप, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने 11 मई, रविवार को कहा कि वह ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत के साथ संघर्ष विराम समझौते में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भूमिका का स्वागत करता है, साथ ही दोनों पड़ोसियों के बीच कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता करने की उनकी पेशकश के लिए उनका धन्यवाद भी करता है।
दरअसल, डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि नई दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच संघर्ष विराम समझौते की मध्यस्थता अमेरिका ने की थी और उन्होंने कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थ बनने की पेशकश की थी।
सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किए गए बयान में कहा गया है, “हम पाकिस्तान और भारत के बीच हाल ही में हुए संघर्ष विराम समझौते का समर्थन करने में अन्य मित्र देशों के साथ-साथ अमेरिका द्वारा निभाई गई रचनात्मक भूमिका की सराहना करते हैं। यह तनाव कम करने और क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में एक कदम है।”
बयान में यह भी कहा गया, “हम राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा जम्मू-कश्मीर विवाद के समाधान के लिए किए जा रहे प्रयासों का समर्थन करने की इच्छा की भी सराहना करते हैं। यह एक ऐसा दीर्घकालिक मुद्दा है जिसका दक्षिण एशिया और उससे परे शांति और सुरक्षा पर गंभीर प्रभाव पड़ता है। पाकिस्तान इस बात की पुष्टि करता है कि जम्मू-कश्मीर विवाद का कोई भी न्यायसंगत और स्थायी समाधान संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रासंगिक प्रस्तावों के अनुसार होना चाहिए और कश्मीरी लोगों के मौलिक अधिकारों की प्राप्ति सुनिश्चित करनी चाहिए, जिसमें आत्मनिर्णय का उनका अपरिहार्य अधिकार भी शामिल है।”
🔊PR NO.1️⃣3️⃣3️⃣/2️⃣0️⃣2️⃣5️⃣ Pakistan Welcomes President Trump’s Statemet. Pakistan welcomes the statement by the US President Donald J. Trump @realDonaldTrump regarding Pakistan-India relations. We acknowledge with appreciation the constructive role played by the United States,… — Ministry of Foreign Affairs – Pakistan (@ForeignOfficePk) May 11, 2025
पाकिस्तान की ओर से जारी बयान में कहा गया कि देश क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और समृद्धि को बढ़ावा देने के प्रयासों के लिए प्रतिबद्ध है। इसमें यह भी कहा गया कि पाकिस्तान संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को और गहरा करने के लिए तत्पर है, खासकर व्यापार, निवेश और आर्थिक सहयोग के क्षेत्रों में।
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए किसी भी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता को खारिज कर दिया है। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने शनिवार को बताया कि सीजफायर की सहमति पाकिस्तान की ओर से आई थी। पाकिस्तान सेना के डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (DGMO) ने भारत के DGMO से संपर्क कर सीजफायर की अपील की थी।
कश्मीर मुद्दे पर भारत की स्थिति वर्षों से स्पष्ट रही है। यह एक द्विपक्षीय मसला है और इसका हल भारत और पाकिस्तान के बीच ही निकाला जाएगा। 1972 में दोनों देशों के बीच हुए शिमला समझौते में भी यह बात साफ तौर पर दर्ज है कि किसी तीसरे पक्ष की भूमिका की कोई गुंजाइश नहीं है।






