तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pak-Afghan Tension: पाकिस्तानी ने 17-18 अक्टूबर की दरमियानी रात अफगानिस्तान में एयरस्ट्राइक किया। इसके चलते पहले से ही तनावपूर्ण चल रहे दोनों देशों के रिश्तों में तनाव और बढ़ गया है। इसी बीच अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने पाकिस्तानी हमले को लेकर बयान जारी किया है। जिसमें कहा गया है कि उन्होंने अपनी सेना को बदला लेने से रोक रखा है। क्योंकि वो शांति स्थापित करना चाहते हैं।
तालिबान सरकार ने इस हमले की कड़ी निंदा की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान ने अफगानिस्तान के पक्तिका प्रांत पर शुक्रवार, 17 अक्टूबर 2025 की रात हमला किया था। इस हमले में अफगानिस्तान के तीन स्थानीय क्रिकेट खिलाड़ियों समेत 18 लोगों की मौत हो गई। माना जा रहा था कि इसके बाद तालिबान दोहा में होने वाले शांति वार्ता में शामिल होने के इनकार कर देगा, लेकिन ने इसके उल्ट वार्ता में जाने का ऐलान किया है।
तालिबान ने कहा कि वह इस हमले का जवाब देने का हक रखता है, लेकिन क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए उसने फिलहाल कोई जवाबी कार्रवाई नहीं की है। तालिबान सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया कि वे युद्ध नहीं चाहते और शांति को प्राथमिकता दे रहे हैं।
د افغانستان اسلامي امارت د ملي دفاع وزیر مولوي محمد یعقوب مجاهد او د استخباراتو لوی رییس ملا عبدالحق وثیق د #افغانستان او #پاکستان فوځی رژیم ترمنځ د مذاکراتو لپاره قطر ته سفر پیل کړ. — ذبیح الله محاهد(Zabihullah Mujahid ) (@Zabihul66187561) October 18, 2025
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर जानकारी दी कि तालिबान के रक्षा मंत्री मौलवी मोहम्मद याकूब मुजाहिद के नेतृत्व में एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल दोहा के लिए रवाना हो गया है।
बयान में कहा गया कि अफगानिस्तान, पाकिस्तान के इस हमले को भड़काऊ कदम मानता है। तालिबान ने कहा कि पाकिस्तान की यह कार्रवाई जानबूझकर तनाव बढ़ाने और संघर्ष को लंबा करने की कोशिश है।
हालांकि, तालिबान ने यह भी साफ किया कि वह क्षेत्रीय शांति और समाधान में विश्वास रखता है। इसलिए फिलहाल बदले की कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। तालिबान ने यह भी कहा कि अगर क्षेत्र में कोई टकराव हो रहा है, तो उसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान की उकसाने वाली नीतियों पर है।
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तालिबान का कहना है कि उन्होंने यह कदम इसलिए उठाया है ताकि बातचीत का माहौल शांतिपूर्ण और सम्मानजनक बना रहे। उनकी प्राथमिकता युद्ध नहीं, बल्कि क्षेत्र में स्थायी शांति और सुरक्षा है। दूसरी ओर, पाकिस्तान का एक प्रतिनिधिमंडल भी शांति वार्ता के लिए दोहा पहुंच चुका है।