तहव्वुर राणा, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
वाशिंगटन/न्यूयॉर्क: अमेरिकी न्याय विभाग के अनुसार, मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा ने कथित तौर पर कहा था कि भारतीयों का ‘‘यही हश्र होना चाहिए”। राणा ने इस हमले में मारे गए लश्कर-ए-तैयबा के नौ आतंकवादियों की सराहना करते हुए उन्हें पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता सम्मान ‘‘निशान-ए-हैदर’’ देने की वकालत की थी।
बुधवार को अमेरिका ने पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक राणा को भारत प्रत्यर्पित कर दिया, ताकि वह 2008 के मुंबई हमले में कथित संलिप्तता को लेकर मुकदमे का सामना कर सके। उस पर इस हमले से संबंधित दस आपराधिक आरोप लगाए गए हैं, जिसमें छह अमेरिकियों समेत कुल 166 लोगों की जान गई थी। न्याय विभाग के बयान में कहा गया कि राणा का भारत को सौंपा जाना उन छह अमेरिकियों और अन्य पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक अहम कदम है, जो इस भयावह आतंकी घटना में मारे गए थे।
भारत का आरोप है कि राणा ने अपने बचपन के दोस्त (डेविड) हेडली को लश्कर ए तैयबा के संभावित हमला स्थलों की टोह लेने के लिए मुंबई की बेरोकटोक यात्रा करने में मदद की थी। बयान के अनुसार, हमले के बाद, राणा ने हेडली से कथित तौर पर कहा था कि भारतीयों का ‘‘यही हश्र होना चाहिए।”
बयान में कहा गया है, ‘‘हेडली के साथ बातचीत में राणा ने हमले में मारे गए लश्कर के नौ आतंकवादियों की कथित तौर पर सराहना करते हुए कहा था कि उन्हें लड़ाई में वीरता पदर्शित करने के लिए पाकिस्तान का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार– ‘निशान-ए-हैदर’– दिया जाना चाहिए, जो युद्ध में जान गंवाने वाले सैनिकों को दिया जाता है।”
भारत का आरोप है कि हेडली ने पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा के सदस्यों से प्रशिक्षण प्राप्त किया था और वह मुंबई हमले की साजिश रचने में आतंकवादी संगठन के साथ सीधे संपर्क में था। राणा अपने आव्रजन व्यवसाय की मुंबई शाखा खोलने और हेडली को कार्यालय का प्रबंधक नियुक्त करने के लिए सहमत हुआ, जबकि हेडली के पास आव्रजन संबंधी कामकाज का कोई अनुभव नहीं था।
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दो अलग-अलग मौकों पर, राणा ने हेडली को वीजा आवेदन तैयार करने और इसे भारतीय अधिकारियों को सौंपने में कथित तौर पर मदद की थी। बयान में कहा गया है, ‘‘दो साल से अधिक समय तक हेडली ने शिकागो में राणा से कई बार मुलाकात की और लश्कर-ए-तैयबा की ओर से ली गई टोह संबंधी गतिविधियों, हेडली की गतिविधियों पर लश्कर-ए-तैयबा की प्रतिक्रियाओं और मुंबई हमले के लिए लश्कर-ए-तैयबा की संभावित गतिवधियों के बारे में जानकारी दी थी।”
वर्ष 2008 में 26 से 29 नवंबर के बीच लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकवादियों ने मुंबई में 12 समन्वित हमलों को अंजाम दिया था। बयान के अनुसार, ‘‘ये हमले भारत में हुए सबसे भयानक और विनाशकारी हमलों में से एक थे।”
अमेरिकी न्याय विभाग के बयान में यह भी कहा गया है कि राणा के खिलाफ भारत की लंबित कार्यवाही पहली कार्यवाही नहीं है, जिसमें उस पर आतंकवाद को अंजाम देने की साजिश रचने का आरोप है। वर्ष 2013 में, राणा को इलिनॉय के उत्तरी जिले में लश्कर-ए-तैयबा को सहायता प्रदान करने और डेनमार्क के कोपेनहेगन में लश्कर-ए-तैयबा द्वारा प्रायोजित लेकिन नाकाम रहे आतंकी हमले की साजिश रचने के लिए दोषी करार दिये जाने के बाद 14 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
बयान के अनुसार, इसी आपराधिक कार्यवाही के तहत हेडली ने 12 संघीय आतंकवाद के आरोपों में दोष स्वीकार किया, जिसमें मुंबई में छह अमेरिकियों की हत्या में सहायता करना और बाद में एक डेनिश अखबार के कार्यालय पर हमले की साजिश रचना शामिल था। उसे 35 साल की जेल की सजा सुनाई गई थी।
(एजेंसी इनपुट के साथ)