
सुशीला कार्की (फोटो- सोशल मीडिया)
 
    
 
    
Nepal Gen-Z Protests: नेपाल में हाल ही में हिंसक प्रदर्शनों के बाद तख्तापलट हुआ। जिसके चलते पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की ने 12 सिंतबर को नेपाल अंतरिम प्रधानमंत्री के रूप में नियुक्त किया गया है। रविवार को कार्की ने पद संभालते हुए साफ किया कि वो और उनकी टीम सत्ता का स्वाद चखने के लिए नहीं है। वो केवल 6 महीने रहेगीं और फिर नई सरकार को कमान सौंप देगी।
कार्की ने सिंहदरबार में आज अपना कार्यभार संभालने के बाद देश के नाम संदेश दिया। जिसमें उन्होंने सरकार के खिलाफ हुए विरोध प्रधर्शनों की जांच करवाने की बात कही। नेपाली प्रधानमंत्री ने कहा कि, प्रदर्शन के आड़ में काठमांडू सहित देशभर में सरकारी तथा निजी संपत्तियों पर आक्रमण, आगजनी, लूटपाट की घटना एक षड़यंत्र है। उसकी जांच जरूरी है।
सुशीला कार्की ने अपने संबोधन में कहा कि 9 सितंबर को काठमांडू और आसपास के क्षेत्रों में जो हिंसा हुई, उसमें लोगों को जानबूझकर निशाना बनाया गया। संपत्तियों को जलाया गया, घरों को आग लगाई गई। यह किसी युवा प्रदर्शनकारियों का काम नहीं हो सकता। उन्होंने बताया कि कई ऐसे समूहों की पहचान की गई है, जो इस हिंसा, आगजनी और लूटपाट में शामिल थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस घटना की पूरी तरह से न्यायिक जांच होगी और ऐसी उद्दंडता को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
कार्की ने कहा कि इस हिंसा ने आम लोगों के जीवन पर गंभीर असर डाला है, जिनके घर, दुकानें, होटल और फैक्ट्रियां जल गईं। इससे न केवल उनका जीवन प्रभावित हुआ, बल्कि देश की पहले से खराब आर्थिक स्थिति पर भी एक बड़ा संकट आ खड़ा हुआ है। उन्होंने इस घटना में मारे गए लोगों को शहीद का दर्जा देने की घोषणा की और उनके परिवारों को 10 लाख रुपये की सहायता देने का ऐलान भी किया।
यह भी पढ़ें: नेतन्याहू के निशाने पर नया मुस्लिम मुल्क! खुफिया रिपोर्ट से खतरनाक खुलासा, मिडिल ईस्ट में नाचेगी मौत
नेपाल में हिंसा में अब तक 72 लोगों के माने जाने की खबर है। वहीं 400 से ज्यादा घायल बताए जा रहें है। जनता ने अंतरिम सरकार द्वारा हिंसा की जांच के ऐलान का स्वागत किया है। उनका कहना है कि, यह विरोध प्रदर्शन नहीं, बल्कि एक योजना है।






