रोनन कानून के तहत चाकू से होने वाले क्राइम पर लगेगी रोक, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
लंदन: ब्रिटेन सरकार ने बुधवार को ऑनलाइन चाकू विक्रेताओं के लिए कड़े नियमों की घोषणा की। नए दिशानिर्देशों का पालन न करने पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। यह फैसला भारतीय मूल के 16 वर्षीय किशोर रोनन कांडा की चाकू से हुई हत्या की घटना के मद्देनजर लिया गया है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
अब नए ‘रोनन कानून’ के आने से खुदरा विक्रेताओं को अब अपने प्लेटफॉर्म पर चाकुओं की असामान्य या संदिग्ध मात्रा में खरीदारी की सूचना पुलिस को देनी होगी। साथ ही, इस कानून के अनुसार 18 वर्ष से कम उम्र के किशोरों को चाकू बेचने पर कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है।
जुलाई 2022 में इंग्लैंड के वॉल्वरहैम्प्टन में रोनन कांडा की चाकू मारकर हत्या कर दी गई थी। यह हमला उनके घर के पास हुआ और गलत पहचान के कारण हुआ था। इस दुखद घटना के बाद, रोनन की मां, पूजा कांडा, ने सख्त कार्रवाई की मांग की थी। जिसके बाद मामले में दोषी पाए गए भारतीय मूल के किशोर को अदालत ने 34 साल की सजा सुनाई गई।
पूजा कांडा ने एक बयान में बताया कि 2022 में गलत पहचान के कारण उनके बेटे, रोनन, पर चाकू से हमला किया गया, जिसमें उसकी मौत हो गई। 2023 में जब वे कोर्ट में थीं, तो उन्होंने हमले में इस्तेमाल किए गए हथियार देखे, जिनमें एक तलवार और 25 से अधिक ब्लेड जैसी धारदार वस्तुएं शामिल थीं। यह देखकर उन्हें एहसास हुआ कि उनके बेटे के पास बचने का कोई अवसर नहीं था।
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पूजा ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, विक्रेताओं और हथियार बेचने वालों से अधिक जिम्मेदारी निभाने की उम्मीद जताई। उन्होंने चाकू की बिक्री को नियंत्रित करने के लिए सरकार द्वारा पंजीकरण योजना लागू करने और ऑनलाइन बिक्री पर सख्त नियम बनाने के फैसले का समर्थन किया।
पूजा कांडा, ने आगे कहा कि नए कानून से चाकू से होने वाले अपराधों पर रोक लगेगी। उन्होंने अफसोस जताया कि अगर यह कानून पहले लागू हुआ होता, तो आज उनका बेटा उनके साथ होता। पूजा कांडा ने यह भी सवाल उठाया कि ऑनलाइन चाकू खरीदते समय पहचान पत्र की जांच क्यों नहीं की जाती। वोल्वरहैम्पटन क्राउन कोर्ट में खुलासा हुआ कि रोनन के हत्यारों ने बिना किसी उम्र या पहचान जांच के ऑनलाइन चाकू खरीदे और हमले वाले दिन उन्हें पोस्ट ऑफिस से ले लिया था।
ब्रिटेन के गृह मंत्रालय के अनुसार, रोनन कानून चाकू की ऑनलाइन बिक्री में पाई जाने वाली खामियों को दूर करने के उद्देश्य से लागू किया गया है। यह कानून रोहन की मां और उनकी बहन निकिता के अथक प्रयासों का परिणाम है, जिन्होंने युवाओं की हथियारों तक पहुंच को सीमित करने और ऐसे ही दर्द से गुजरने वाले परिवारों की मदद करने के लिए यह अभियान शुरू किया था।