
श्रीलंका में चक्रवात दितवाह का कहर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Sri Lanka Cyclone Ditwah: चक्रवात दितवाह से पैदा हुए भीषण संकट के बीच भारत द्वारा संचालित ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ श्रीलंका में बड़ी राहत बनकर सामने आ रहा है। भारी बारिश, बाढ़ और भूस्खलन के चलते वहां हजारों लोग प्रभावित हैं और स्थिति दिन-ब-दिन गंभीर होती जा रही है।
ऐसे में भारतीय एनडीआरएफ टीमों ने सोमवार को अपने बचाव अभियानों में तेजी लाते हुए सेदावट्टा और नाडीगामा क्षेत्रों में एक दृष्टिबाधित वरिष्ठ नागरिक और एक घायल महिला को सुरक्षित बाहर निकाला। दोनों को मौके पर ही चिकित्सीय सहायता प्रदान की गई।
भारतीय उच्चायोग ने ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए बताया कि एनडीआरएफ लगातार जीवनरक्षक कार्रवाई कर रही है और आपदा से जूझ रहे लोगों को तत्काल सहायता पहुंचाई जा रही है। भारत ने यह ऑपरेशन 28 नवंबर को तब शुरू किया था, जब चक्रवात दितवाह ने श्रीलंका के कई हिस्सों में भीषण बाढ़, जनहानि और व्यापक तबाही मचा दी थी। संकट की गंभीरता को देखते हुए भारतीय नौसेना के युद्धपोत आईएनएस विक्रांत और आईएनएस उदयगिरि तुरंत श्रीलंका पहुंचे और आवश्यक राहत सामग्री उपलब्ध कराई।
#OperationSagarBandhu In close coordination with Sri Lankan armed forces, @NDRFHQ teams continue rescuing stranded people from critical areas, providing urgent assistance and relief to those affected.@MEAIndia @IndianDiplomacy pic.twitter.com/mZ2o4Op7mT — India in Sri Lanka (@IndiainSL) December 3, 2025
दोनों युद्धपोतों से तैनात हेलीकॉप्टरों ने आपदा प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और तेज़ी से खोज एवं बचाव मिशन संचालित किए। नौसेना प्रवक्ता के अनुसार, हेलीकॉप्टरों की सक्रिय तैनाती से कई लोगों की जान बचाई जा सकी। राहत सामग्री के वितरण से हजारों प्रभावित परिवारों को तात्कालिक सहायता मिली है।
इसके अलावा, आईएनएस सुकन्या भी 1 दिसंबर को त्रिंकोमाली पहुंचा और वहां आपातकालीन राहत सामग्री श्रीलंकाई प्रशासन को सौंप दी गई। प्रवक्ता ने बताया कि यह पूरा अभियान हिंद महासागर क्षेत्र में “फर्स्ट रिस्पॉन्डर” के रूप में भारत की भूमिका को और मजबूत करता है। साथ ही यह भारत की “महासागर दृष्टि” और नेबरहुड फर्स्ट नीति की स्पष्ट अभिव्यक्ति भी है।
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उधर, श्रीलंका में तबाही का पैमाना लगातार बढ़ रहा है। डेली मिरर की रिपोर्ट के मुताबिक, डिज़ास्टर मैनेजमेंट सेंटर ने बताया है कि चक्रवात और उससे जुड़े हादसों में मृतकों की संख्या बढ़कर 465 हो गई है। इनमें सबसे अधिक 118 मौतें कंडी जिले में दर्ज की गई हैं। वहीं 366 लोग अब भी लापता हैं, जिनमें बड़ी संख्या मताले जिले से है।
कुल मिलाकर 1.5 मिलियन से अधिक लोग चक्रवात और बाढ़ से प्रभावित हुए हैं, जबकि 61,000 से ज़्यादा परिवारों के 2.32 लाख लोग राहत शिविरों में शरण लेने को मजबूर हैं। भारी तबाही को देखते हुए श्रीलंकाई सरकार ने 22 जिलों को राष्ट्रीय आपदा क्षेत्र घोषित करते हुए विशेष राजपत्र जारी किया है। भारत के सक्रिय हस्तक्षेप और तेज राहत कार्यों से प्रभावित क्षेत्रों में उम्मीद की नई किरण जगी है।






