
दक्षिण-पूर्व एशिया में भीषण तबाही, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Indonesia-Sri Lanka-Thailand Flood News: दक्षिण-पूर्व एशिया इस समय भयावह प्राकृतिक आपदा से जूझ रहा है। भारी बारिश के दौर ने इंडोनेशिया, श्रीलंका और थाईलैंड को सबसे ज्यादा प्रभावित किया है। बाढ़ और भूस्खलन की श्रृंखला ने इन देशों के कई हिस्सों को तबाह कर दिया है।
मंगलवार को मिली रिपोर्ट के अनुसार अब तक कुल 1,303 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 800 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। हजारों परिवार बेघर हो गए हैं और लाखों लोग बुनियादी सुविधाओं के बिना जिंदगी गुजारने को मजबूर हैं।
अधिकारियों के मुताबिक, सबसे ज्यादा जानें इंडोनेशिया में गई हैं। यहां 712 लोगों की मौत और 507 लोगों के लापता होने की सूचना है। सुमात्रा द्वीप के गांवों में हालात सबसे खराब बताए जा रहे हैं। लगातार बारिश से सड़कें धंस गईं, कई पुल बह गए और गांवों से संपर्क पूरी तरह टूट गया।
ऐसे में बचावकर्मियों को हेलीकॉप्टर और नावों की मदद से मुश्किल इलाकों तक पहुंचना पड़ रहा है। बिगड़ते मौसम और क्षतिग्रस्त इंफ्रास्ट्रक्चर के कारण राहत अभियान धीमा पड़ रहा है, जिससे मौत का आंकड़ा और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।
श्रीलंका में चक्रवाती तूफान ‘दितवा’ के बाद हालात और बिगड़ गए। देश में अब तक 410 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने कहा कि मृतकों की वास्तविक संख्या इससे भी अधिक हो सकती है। सेना के नेतृत्व वाली बचाव टीमें 336 लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं। भूस्खलन की वजह से कई सड़कें पूरी तरह बंद हो गई हैं और पुल ढहने से अलग-अलग क्षेत्रों तक पहुंच बेहद मुश्किल हो गई है।
दक्षिणी थाईलैंड में आई ऐतिहासिक बाढ़ ने 39 लाख से अधिक लोगों को प्रभावित किया है। 15 लाख से ज्यादा घरों में पानी भर गया, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा। अब स्थानीय प्रशासन सड़कों, इमारतों और सार्वजनिक जगहों की सफाई कर रहा है। पानी और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं को बहाल करना अधिकारियों की सबसे बड़ी चुनौती बन गया है।
यह भी पढ़ें:- ‘मेरे कत्ल की तैयारी…’, जेल से इमरान खान का बड़ा स्टेटमेंट, आसिम मुनीर को लेकर बड़ा इशारा
तीनों देशों में हजारों राहतकर्मी रात-दिन बचाव अभियान में जुटे हुए हैं। कई जगह लोग छतों, पेड़ों और ऊंची जगहों पर फंसे हुए हैं और मदद की प्रतीक्षा कर रहे हैं। भारी बारिश के चलते जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे राहत कार्य और अधिक चुनौतीपूर्ण हो गए हैं।






