विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर, मार्को रुबियो (फोटो - सोशल मीडिया)
वाशिंगटन: भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर क्वाड देशों की बैठक में शामिल होने के लिए अमेरिकी दौरे पर हैं। मंगलवार को राजधानी वाशिंगटन डीसी में क्वाड देशों की विदेश मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई। बैठक के दौरान विदेश मंत्री जयशंकर अपने बयानों के चलते छाए रहे। उनकी तारीफ अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने की।
मार्को रुबियो ने एस. जयशंकर की अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक सक्रियता की तारीफ करते हुए कहा कि पिछले छह महीनों में उन्होंने कई बार उन्हें विभिन्न देशों में देखा है। उन्होंने कहा, “हर बार जब मैं समाचार देखता हूं, जयशंकर किसी न किसी देश में होते हैं। वह वाकई बेहद व्यस्त रहते हैं।” रुबियो का यह बयान क्वाड मंच पर भारत की भूमिका को लेकर अमेरिका की प्रशंसा का प्रतीक माना जा रहा है।
वाशिंगटन में हुई बैठक में क्वाड देशों ने मिलकर एक नई पहल की घोषणा की है, जिसे “Quad Critical Minerals Initiative” नाम दिया गया है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य महत्वपूर्ण खनिजों की आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित, लचीला और विविध बनाना है, ताकि चारों देश आर्थिक सुरक्षा और सामूहिक आत्मनिर्भरता को मिलकर मजबूत कर सकें। इसे क्वाड साझेदारी के एक महत्वाकांक्षी विस्तार के रूप में देखा जा रहा है।
बैठक के दौरान, भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रियों ने क्वाड (Quad) बैठक के दौरान आपसी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया। इस दौरान इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्वतंत्रता बनाए रखने, समुद्री सुरक्षा को सुदृढ़ करने और क्षेत्रीय स्थिरता बढ़ाने से जुड़े विभिन्न उपायों पर चर्चा हुई। भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बैठक को ‘बहुत ही फलदायी’ बताया और कहा कि यह क्षेत्रीय सहयोग को नई दिशा देने वाली रही। इसके अलावा उन्होंने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के साथ एक द्विपक्षीय बैठक भी की, जिसमें द्विपक्षीय संबंधों को और प्रगाढ़ करने पर विचार-विमर्श हुआ।
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जयशंकर ने क्वाड बैठक में शामिल होते हुए कई अहम मुद्दों पर बात की। उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर को लेकर ट्रंप की भूमिका और व्यापारिक समझौतों के दावे पर कहा कि भारत ने पाकिस्तान की ओर से प्रस्तावित सीजफायर के मसौदे को अपनी शर्तों पर स्वीकार किया है। हमने यह फैसला अपनी मर्जी से किया था। उन्होंने कश्मीर मुद्दे को लेकर कहा कि भारत और पाकिस्तान इस मुद्दे को अपने स्तर पर बात करके निपटा सकते हैं। इसमें किसी भी तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप को भारत स्वीकार नहीं करेगा।