एस जयशंकर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
S Jaishankar Russia Visit: विदेश मंत्री एस. जयशंकर आज मंगलवार को रूस की आधिकारिक यात्रा पर रवाना होंगे। यह यात्रा 19 से 21 अगस्त 2025 के बीच होगी और इसे रूस के प्रथम उप-प्रधानमंत्री डेनिस मंटुरोव के आमंत्रण पर आयोजित किया जा रहा है। यह जानकारी मंगलवार को भारतीय विदेश मंत्रालय ने दी। जयशंकर की रूस यात्रा, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की हाल की रूस यात्रा और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों से उनकी मुलाकात के कुछ ही दिनों बाद हो रही है।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, एस. जयशंकर रूस की अपनी यात्रा में 20 अगस्त को भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग की 26वीं बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। यह बैठक व्यापार, आर्थिक, वैज्ञानिक, तकनीकी और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग को लेकर होगी। इस दौरान, एस. जयशंकर रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से भी भेंट करेंगे।
इस यात्रा का मुख्य लक्ष्य भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-TEC) के 26वें सत्र की सह-अध्यक्षता करना है, जो व्यापार, आर्थिक, विज्ञान-तकनीकी और सांस्कृतिक सहयोग से संबंधित है। इसके साथ इस यात्रा के अहम प्वांट ये भी है-
1. विदेश मंत्री मॉस्को में आयोजित भारत-रूस बिजनेस फोरम को संबोधित करेंगे।
2. यात्रा के दौरान वे रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात करेंगे, साथ ही द्विपक्षीय मामलों की समीक्षा करेंगे और क्षेत्रीय व वैश्विक मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण साझा करेंगे।
3. इस यात्रा का उद्देश्य भारत-रूस की दीर्घकालिक और मजबूत रणनीतिक साझेदारी को और सुदृढ़ करना है।
रूस और भारत के संबंधों में ट्रंप का टैरिफ असर नहीं डालेगा। मास्को में रूसी अधिकारियों के साथ विदेश मंत्री जयशंकर की बैठकों में भारत की रूस से लगातार ऊर्जा खरीद पर चर्चा होने की संभावना है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में आदेश जारी किया था, जिसके तहत भारत द्वारा रूस से ऊर्जा की खरीद पर प्रतिक्रिया स्वरूप भारतीय उत्पादों पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया गया।
इस अतिरिक्त शुल्क के चलते भारत पर कुल शुल्क 50% तक पहुंच गया। भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीद का बचाव करते हुए कहा कि उसकी ऊर्जा नीतियां राष्ट्रीय हित और बाजार की परिस्थितियों के अनुरूप हैं।
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भारत के विदेश मंत्री जयशंकर की मास्को यात्रा के दौरान उम्मीद है कि रूस और यूक्रेन के बीच जारी विवाद पर भी चर्चा होगी। भारत लगातार इस संघर्ष को बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों के जरिए समाप्त करने की बात करता रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल जुलाई में मास्को का दौरा किया था और वहां पुतिन से कहा था कि युद्ध के माध्यम से यूक्रेन संकट का समाधान संभव नहीं है और हिंसा के बीच शांति प्रयास सफल नहीं हो सकते।