रूस ने ट्रंप की धमकी के बीच हटाई इंटरमीडिएट-रेंज मिसाइल पर लगी रोक
US Russia Conflict: रूस ने सोमवार को घोषणा करते हुए इंटरमीडिएट और शॉर्ट-रेंज मिसाइलों की तैनाती पर लगे अपने स्वैच्छिक प्रतिबंध (मोराटोरियम) को समाप्त कर दिया है। यह निर्णय अमेरिका द्वारा रूसी तटों के निकट दो परमाणु पनडुब्बियों को तैनात करने के आदेश के बाद आया है, जिससे दोनों देशों के बीच मौजूदा तनाव और बढ़ गया है।
रूसी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि अब रूस खुद पर लगाए गए उन प्रतिबंधों से मुक्त महसूस करता है जो मध्यम और छोटी दूरी की मिसाइलों की तैनाती से संबंधित थे। इन प्रतिबंधों को जारी रखने के लिए आवश्यक परिस्थितियां अब मौजूद नहीं हैं। इस कदम से दोनों देशों के बीच सैन्य तनाव और बढ़ने की आशंका है।
रूस ने यह कदम उस समय उठाया है, जब वह पहले ही इस मोराटोरियम को समाप्त करने के संकेत दे चुका था। दिसंबर 2024 में, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने इस संभावना की ओर इशारा किया था। इसी महीने, राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भी संकेत दिया था कि 2025 की दूसरी छमाही में रूस अपनी ओरशनिक इंटरमीडिएट-रेंज बैलिस्टिक मिसाइलों को बेलारूस में तैनात कर सकता है।
रूस ने स्पष्ट कर दिया है कि अब वह मिसाइल परीक्षण पर लगी पाबंदियों को नहीं मानेगा। विदेश मंत्रालय ने कहा कि अब ऐसी कोई शर्त नहीं बची है जो इस प्रतिबंध को जारी रखने को लेकर कुछ सोच सके। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि रूस अब पहले से लागू स्वैच्छिक प्रतिबंधों का पालन नहीं करेगा।
ट्रंप की धमकी के बीच हटाई इंटरमीडिएट-रेंज मिसाइल पर लगी रोक
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने भी इस बात पर जोर दिया कि रूस इस मामले में पूरी तरह से स्वतंत्र है और आवश्यकता पड़ने पर नाटो की ‘आक्रामक हरकतों’ के जवाब में इस स्वतंत्रता का उपयोग करेगा। रूस ने पश्चिमी देशों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि उनकी गतिविधियां, विशेष रूप से मिसाइल तैनाती से जुड़े कदम, रूस की सुरक्षा के लिए ‘सीधा खतरा’ बन गए हैं। ऐसे में, रूस को अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कार्रवाई करनी होगी।
रूस ने INF संधि (इंटरमीडिएट-रेंज न्यूक्लियर फोर्सेज ट्रीटी) से अपने को अलग कर लिया है, जिससे यूरोप के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती पैदा हो गई है। अब न्यू स्टार्ट संधि (New START) ही एकमात्र ऐसा समझौता बचा है, जो अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों पर नियंत्रण रखता है। यदि यह संधि भी समाप्त हो जाती है, तो 1972 के बाद पहली बार दुनिया की दो सबसे बड़ी परमाणु शक्तियों के हथियारों पर कोई सीमा नहीं रहेगी।
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इसका मतलब यह होगा कि रूस बिना किसी रोक-टोक के इंटरमीडिएट और शॉर्ट-रेंज ग्राउंड-बेस्ड मिसाइलों का निर्माण और तैनाती कर सकेगा, जिससे वैश्विक सुरक्षा पर गंभीर असर पड़ सकता है। इस स्थिति में, अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए यह चिंता का विषय है कि कहीं परमाणु हथियारों की होड़ फिर से न शुरू हो जाए।