रूस-चीन, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
चीन और रूस को लेकर हाल ही में जारी एक रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, दोनों देश समुद्र के नीचे खतरनाक साजिश रच सकते हैं। अमेरिकी साइबर सुरक्षा कंपनी ‘रिकॉर्डेड फ्यूचर’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि समुद्र के भीतर बिछी इंटरनेट केबलों पर हमले का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। खास तौर पर बाल्टिक सागर और ताइवान के आसपास इस खतरे को लेकर गंभीर चिंता जताई गई है, और इसके पीछे रूस और चीन की भूमिका को जिम्मेदार माना जा रहा है।
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि बाल्टिक सागर क्षेत्र में रूस और चीन से जुड़ी संदिग्ध गतिविधियों में तेजी आ रही है, जिससे वैश्विक इंटरनेट के मूलभूत ढांचे पर बड़ा खतरा मंडरा रहा है। गौरतलब है कि दुनिया के 99 प्रतिशत अंतरमहाद्वीपीय डेटा ट्रैफिक का आदान-प्रदान समुद्र के नीचे बिछी केबलों के जरिए ही होता है।
अमेरिकी रिपोर्ट के अनुसार, जैसे-जैसे वैश्विक तनाव बढ़ रहा है, वैसे-वैसे उत्तरी अटलांटिक और बाल्टिक क्षेत्रों में रूस और पश्चिमी हिस्सों में चीन की आक्रामक गतिविधियों में इज़ाफा हो सकता है। एक मीडिया रिपोर्ट में अमेरिकी आकलन के हवाले से बताया गया है कि कुछ छोटे और अपेक्षाकृत कमजोर यूरोपीय देशों जैसे माल्टा, साइप्रस और आयरलैंड पर गंभीर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
रिपोर्ट में पिछले दो वर्षों के दौरान बाल्टिक सागर और ताइवान क्षेत्र में अंडरसी केबलों से जुड़ी नौ अहम घटनाओं का उल्लेख किया गया है। इनमें नवंबर में लिथुआनिया और स्वीडन के बीच दो अंडरसी केबलों के टूटने की घटना शामिल है, जिसकी जांच में एक चीनी जहाज का लंगर जिम्मेदार पाया गया था। इसी तरह, दिसंबर में फिनलैंड और एस्टोनिया के बीच केबल क्षतिग्रस्त होने के मामले में एक रूसी तेल टैंकर को दोषी मानते हुए जब्त कर लिया गया था।
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रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि समुद्र के भीतर कई अंडरसी केबलों पर एक साथ हमला किया जा सकता है, जिससे लंबे समय तक संचार और इंटरनेट सेवाएं बाधित हो सकती हैं। साइबर सुरक्षा कंपनी ने बीते 18 महीनों में समुद्री केबल क्षति के 44 मामलों का अध्ययन किया। इनमें से 25% मामले एंकर खिंचने की वजह से हुए, करीब एक-तिहाई मामलों के कारण अज्ञात हैं, और 16% प्राकृतिक आपदाओं जैसे भूकंप आदि के चलते हुए।