
रूस-भारत दोस्ती का नया अध्याय, (डिजाइन फोटो)
Putin Visit India: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4-5 दिसंबर को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आ रहे हैं। यह उनकी चार साल बाद भारत यात्रा होगी और इसे रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम माना जा रहा है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पुतिन का स्वागत करेंगी और उनके सम्मान में विशेष भोज आयोजित किया जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निमंत्रण पर पुतिन 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहां दोनों नेता रक्षा, ऊर्जा, व्यापार और वैश्विक सुरक्षा पर विस्तृत बातचीत करेंगे।
क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा कि रूस-भारत का रिश्ता केवल राजनयिक औपचारिकताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आपसी भरोसे, सम्मान और वैश्विक मामलों पर साझा दृष्टिकोण पर आधारित है।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के संबंध अंतरराष्ट्रीय कानून और एक-दूसरे के हितों के सम्मान पर टिके हैं। पेस्कोव ने भारत को रूस का “सबसे दोस्ताना साझेदार” बताया और कहा कि यूक्रेन संकट के दौरान भारत का संतुलित और स्वतंत्र रुख रूस के लिए बड़ी राहत रहा है।
पेस्कोव ने पुष्टि की कि इस दौरे के एजेंडे में रूस का अत्याधुनिक स्टेल्थ फाइटर जेट Su-57 शामिल होगा। भारत पहले ही Su-30MKI जैसे रूसी फाइटर जेट्स का सबसे बड़ा ऑपरेटर है। नई दिल्ली और मॉस्को Su-57 की संभावित खरीद, तकनीक हस्तांतरण और संयुक्त उत्पादन पर चर्चा कर सकते हैं।
इसके अलावा S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की नई खेप और भविष्य में S-500 मिसाइल डिफेंस सिस्टम पर सहयोग भी वार्ता का बड़ा हिस्सा होगा। रूस भारत को लंबी दूरी की एयर-टू-एयर मिसाइलें भी प्रदान करने पर विचार कर रहा है, जिनके रखरखाव में HAL की भूमिका महत्वपूर्ण रहेगी।
पुतिन के साथ रक्षा मंत्री आंद्रेई बेलौसोव और एक बड़ा बिजनेस डेलिगेशन भी भारत आएगा, जिसमें स्बरबैंक, रोसोबोरन एक्सपोर्ट, रोसनेफ्ट और गैजप्रोम के शीर्ष अधिकारी शामिल होंगे। ऊर्जा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच सहयोग और बढ़ेगा। अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद भारत आज रूस का सबसे बड़ा तेल खरीदार है, और इस दौरे में तेल व्यापार और नए ऊर्जा प्रोजेक्ट्स पर निर्णय हो सकता है।
शिखर सम्मेलन में दोनों नेता SCO और ब्रिक्स जैसे बहुपक्षीय मंचों पर सहयोग की समीक्षा करेंगे। पेस्कोव ने दिल्ली में हाल ही में हुए लाल किला आतंकी हमले की कड़ी निंदा की और आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ एकजुटता जताई।
भारत और रूस के रिश्ते 70 साल से अधिक पुराने हैं। सोवियत काल से लेकर आज तक रक्षा क्षेत्र में दोनों देशों की साझेदारी सबसे मजबूत स्तंभ रही है। पुतिन इससे पहले 2000, 2004, 2010, 2014 और 2021 में भारत का दौरा कर चुके हैं। यूक्रेन युद्ध के बाद यह उनकी पहली बड़ी विदेश यात्रा होगी, जिसे रूस की कूटनीतिक सक्रियता को बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि यह दौरा एशिया-प्रशांत क्षेत्र की भू-राजनीति को नया आकार देगा। भारत के लिए यह रक्षा और ऊर्जा में आत्मनिर्भरता बढ़ाने का अवसर है, जबकि रूस के लिए यह आर्थिक और राजनीतिक सहारा साबित होगा। दोनों देशों के बीच कई नए समझौते होने की उम्मीद है, जो रणनीतिक साझेदारी को अगले दशक तक दिशा देंगे।






