मोहम्मद मुइज्जू, पीएम मोदी (फोटो- सोशल मीडिया)
PM Modi Maldives Visit: मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू दो साल पहले अपने चुनावी कैम्पेन में ‘इंडिया आउट’ के नारे लगा रहे थे और भारत के विरोध में बयान दे रहे थे। लेकिन आज जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय मालदीव दौरे पर पहुंचे, तो मुइज्जू अपनी आधी कैबिनेट के साथ उनका स्वागत करने एयरपोर्ट पहुंचे।
मुइज्जू को भारत विरोधी और चीन का हिमायती माना जाता है। 2023 में राष्ट्रपति का चुनाव जीतने के बाद उन्होंने 1988 से तैनात 77 भारतीय सेना की टुकड़ी को भारत वापस भेज दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने सालों से चली आ रही परंपरा को बदलते हुए अपने पहले विदेश दौरे पर भारत की जगह तुर्की का रुख किया। लेकिन आज मालदीव का नजारा कुछ बदला हुआ था। राष्ट्रपति मुइज्जू खुद पीएम मोदी को रिसीव करने के लिए एयरपोर्ट पहुंचे। आइए आपको बताते हैं कि मुइज्जू को भारत पर इतना प्यार क्यों आ रहा है? 2023 से लेकर अब तक दोनों देशों के बीच रिश्तों क्या बदलाव हुए हैं?
कोरोना महामारी के कारण मालदीव की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित हुई थी। परिस्थितियाँ इतनी गंभीर हो गई थीं कि सितंबर 2024 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार मात्र $440 मिलियन रह गया, जो केवल डेढ़ महीने के आयात के लिए पर्याप्त था। इस मुश्किल समय में भारत ने मदद का हाथ बढ़ाया और मालदीव को 750 मिलियन डॉलर की करेंसी स्वैप सुविधा प्रदान की। इसके अतिरिक्त, भारत ने 100 मिलियन डॉलर के ट्रेजरी बिल रोलओवर के जरिए भी सहायता दी। इसके साथ ही, भारत ने मालदीव में कई बड़े प्रोजेक्ट्स शुरू किए, जिनसे मालदीव की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ।
मालदीव की अर्थव्यवस्था में पर्यटन से होने वाली आमदनी का अहम योगदान है। लेकिन 2025 में “बायकॉट मालदीव” अभियान के चलते पर्यटन में भयंकर गिरावट आई थी। इस दौरान मालदीव को $150 मिलियन का नुकसान हुआ था। इसके बाद राष्ट्रपति मुइज्जू ने भारतीय पर्यटकों से मालदीव आने की अपील करना शुरू किया।
भारतीय सैनिकों को बाहर निकालने के कारण दोनों देशों के बीच तनाव काफी बढ़ गया था। हालांकि भारत ने “नेबरहुड फर्स्ट” नीति अपनाते हुए अपनी और मालदीव की मदद करना जारी रखा। अगस्त 2024 में विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने मालदीव की यात्रा की। इसके अलावा जब जून 2024 में पीएम मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले रहे थे, तो मोहम्मद मुइज्जू भारत दौरे पर आए। लगातार संवाद के कारण दोनों देशों के बीच उत्पन्न हुए मतभेद समाप्त हो गए।
मालदीव चीन के कर्ज के जाल में बुरी तरह से फंसा हुआ है। मालदीव लगातार $1.37 बिलियन के चीनी कर्ज से बाहर निकलने की कोशिश कर रहा है। मुइज्जू को राष्ट्रपति बनने के बाद यह एहसास हुआ कि चीन के मुकाबले भारत पर विश्वास करना कहीं अधिक सुरक्षित और सुविधाजनक है।
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भारत और मालदीव समुद्री सीमा साझा करते हैं। भारत समय-समय पर मालदीव को हथियारों से मदद करता रहा है। 2024 में भारत ने मालदीव को समुद्री सुरक्षा के लिए जहाज और हेलीकॉप्टर दिए थे। साथ ही, जब भी मालदीव पर संकट आता है, तब भारत ही सबसे पहले मदद के लिए आगे आता है।