सांकेतिक एआई, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Pakistan Airstrike News: पाकिस्तान में एक बार फिर सेना की कार्रवाइयों पर सवाल उठने लगे हैं। 22 सितंबर की तड़के पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत की तिराह घाटी के मत्रे दारा गांव में एक भयानक हवाई हमला हुआ। JF-17 लड़ाकू विमानों द्वारा गिराए गए आठ LS-6 बमों ने गांव में तबाही मचा दी। इस हमले में महिलाओं, बच्चों और अन्य नागरिकों समेत कम से कम 30 लोगों की जान चली गई।
हमले का समय ऐसा था कि पूरा गांव गहरी नींद में था। विस्फोट इतन जबरदस्त हुआ कि कई घर पूरी तरह से नष्ट हो गए और गांव का एक बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया। पाकिस्तानी पुलिस ने इसे तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के विस्फोटक भंडार में हुए धमाके से जोड़ने की कोशिश की, लेकिन स्थानीय विधायक अब्दुल गनी अफरीदी ने इस दावे को खारिज किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह हमला वायु सेना के JF-17 विमानों द्वारा किया गया था और बम के टुकड़ों को सबूत के रूप में पेश किया।
स्थानीय लोगों के अनुसार, अचानक आसमान से जोरदार धमाके हुए, जिससे इलाके में हड़कंप मच गया। कई लोग मलबे के नीचे फंस गए और राहत कार्य देर रात तक जारी रहा। घायल व्यक्तियों को पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। बचाव दल अभी भी मलबे में फंसे लोगों की तलाश कर रहा है, इसलिए मृतकों की संख्या बढ़ने की संभावना जताई जा रही है।
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यह घटना पूरे इलाके में गहरा आक्रोश और शोक पैदा कर गई है। स्थानीय लोग और मानवाधिकार संगठन इसे कड़ी आलोचना का विषय बना रहे हैं। कई राजनीतिक दल और मानवाधिकार आयोग ने पाकिस्तानी सेना की कार्रवाई की निंदा करते हुए पीड़ित परिवारों के लिए न्याय और मुआवजे की मांग की है। सरकार का कहना है कि यह हमला टीटीपी आतंकवादियों को निशाना बनाने के लिए किया गया था और इसे आतंकवाद के खिलाफ अभियान का हिस्सा बताया जा रहा है। लेकिन स्थानीय लोग और विपक्षी दल इसे या तो सरकारी चूक मानते हैं या फिर निर्दोष नागरिकों के खिलाफ की गई कार्रवाई के रूप में देखते हैं। इस घटना ने पाकिस्तान में सैन्य अधिकार और मानवाधिकारों पर बड़ी बहस को जन्म दिया है।