लालबाग के राजा (pic credit; social media)
Maharashtra News: गणेशोत्सव के दौरान हर साल लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बनने वाला ‘लालबाग का राजा’ इस बार विवादों में घिर गया है। वीआईपी दर्शन की अलग व्यवस्था को लेकर श्रद्धालुओं में नाराजगी बढ़ गई है। मानवाधिकार आयोग (HRC) ने इस मामले में मंडल, मुंबई पुलिस और बीएमसी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
दरअसल, मंडल की ओर से वीआईपी दर्शन के लिए अलग लाइन बनाई गई थी, जबकि आम भक्तों को कई-कई घंटे लंबी और संकरी कतार में खड़ा रहना पड़ा। इस भेदभाव की शिकायत वकील आशीष राय और पंकज मिश्रा ने की। उनका कहना है कि वीआईपी वर्ग को आसानी से प्रवेश मिल रहा था, जबकि आम श्रद्धालु महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित घंटों परेशान रहे। शिकायत में इसे श्रद्धालुओं के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन बताया गया है।
कई भक्तों ने आरोप लगाया कि महिलाओं और दिव्यांगों के साथ दुर्व्यवहार हुआ और उन्हें उचित सुविधा तक नहीं दी गई। रिपोर्ट में कहा गया है कि संकरी जगह से जबरन दर्शन करवाने की कोशिश की गई, जिससे भगदड़ की आशंका बनी हुई थी। स्थिति ने पुलिस और प्रशासन की व्यवस्थाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
आयोग ने साफ किया है कि भविष्य में किसी भी धार्मिक स्थल पर ऐसी असमान व्यवस्था नहीं होनी चाहिए। सभी भक्तों को सम्मान और समान अवसर के साथ दर्शन का अधिकार मिलना चाहिए। अब इस मामले की अगली सुनवाई 7 अक्टूबर को होगी। इसी बीच, सोशल मीडिया पर श्रद्धालु नितेश खरे (सूरत निवासी) का पोस्ट चर्चा में है। उन्होंने लिखा कि भीड़ में उनकी छोटी बहन को सिर में चोट लगी, मां का हाथ कटने से बचा लेकिन कपड़े फट गए, वहीं पिता घुटन की वजह से बेहोश हो गए। खरे ने आरोप लगाया कि न तो मंडल प्रबंधन और न ही मुंबई पुलिस ने मदद की।
इस घटना के बाद आम श्रद्धालुओं की सबसे बड़ी मांग यही है कि आने वाले वर्षों में वीआईपी और आम भक्तों के बीच किसी भी तरह का भेदभाव न हो और सभी को सुरक्षित व सहज वातावरण में दर्शन का अवसर मिले।