पाकिस्तान में हिंसा (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pakistan: पाकिस्तान के कई इलाकों में इजरायल के नाम पर बहुत तनाव और हिंसा हो रही है। इसके चलते राजधानी इस्लामाबाद में सुरक्षा को और बढ़ा दिया है। इस हिंसा के पीछे तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) का हाथ है। TLP की पाकिस्तान की राजनीति में अच्छी पकड़ है। यहां वजह है कि पाकिस्तानी सरकार और सेना सीधे तौर कोई कार्रवाई करने से बच रही है।
जानकारी के मुताबिक, पाकिस्तान में हिंसा तब शुरू हुई जब पुलिस ने तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के ऑफिस पर छापा मारा और उसके नेता साद रिजवी को गिरफ्तार करने की कोशिश की। जैसे ही साद रिजवी की गिरफ्तारी की खबर फैली, कई जगह प्रदर्शन और झड़पें शुरू हो गईं।
पुलिस और टीएलपी समर्थकों के बीच कई बार लड़ाई हुई, जिसमें कई पुलिसवाले घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर और लोहे की छड़ें फेंकीं, पुलिस ने आंसू गैस छोड़ी और लाठीचार्ज किया। कुछ जगहों पर गोली भी चली। सोशल मीडिया पर वीडियो में प्रदर्शनकारी आंसू गैस और गोलीबारी दिखा रहे हैं। यह हिंसा तब बढ़ी जब टीएलपी ने 8 अक्टूबर को इजरायल के खिलाफ बड़े प्रदर्शन का ऐलान किया था।
BREAKING: Chaos in Lahore as TLP protest turns deadly. 1 killed many injured. Roads blocked, internet cut. Pakistan’s own people face state terror.#करवाचौथ_की_सच्चाई #NobelPeacePrize #Trump #SmackDown #CxM1stWin #weareoneEXO #Trisha #Norway #Rodrygo@ICC @WIONews @KNBKashmir pic.twitter.com/Vh6AxLzZzn — Firdaus Khan (@par3_ke) October 10, 2025
हालांकि, इजरायल और हमास के बीच युद्धविराम हो गया है और हमास ने इसे मान भी लिया है, लेकिन टीएलपी ने इसे स्वीकार नहीं किया और पाकिस्तान में प्रदर्शन शुरू कर दिया। हिंसा बढ़ने पर पाकिस्तान सरकार ने लाहौर और इस्लामाबाद में सुरक्षा बढ़ा दी है और कई प्रमुख रास्तों को बंद कर दिया है। ताकि प्रदर्शन रोका जा सके। यह वही जगहें हैं जहां पहले भी टीएलपी ने हिंसक प्रदर्शन किए थे।
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टीएलपी एक कट्टरपंथी संगठन है, जिसकी शुरुआत खादिम हुसैन रिजवी ने की थी, जो साद रिजवी के पिता थे। खादिम हुसैन रिजवी ने भड़काऊ नारे बनाए जैसे “गुस्ताख-ए-रसूल की एक ही सजा, सर तन से जुदा”। 2011 में पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या के बाद, उन्होंने हत्यारे मुमताज कादरी को हीरो बताया था और यह नारा पूरे देश में फैलाया था। तब से यह नारा पाकिस्तान में धार्मिक कट्टरता और हिंसा का बड़ा कारण बन गया है, जो अब भारत और दूसरे देशों तक भी पहुंच चुका है।