मारिया कोरिना ने ट्रंप को समर्पित किया अपना नोबेल (सोर्स- सोशल मीडिया)
Nobel Prize: वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो ने साल 2025 का नोबेल शांति पुरस्कार जीता है। उन्होंने यह प्रतिष्ठित सम्मान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को पीछे छोड़ते हुए जीता। लेकिन सम्मान मिलने के कुछ घंटों बाद ही मचाडो सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए अपना नोबेल ट्रंप को समर्पित कर दिया। उन्होने वेनेजुएला के मुद्दे पर समर्थन के लिए ट्रंप को धन्यवाद दिया।
नोबेल समिति ने मचाडो को यह पुरस्कार तानाशाही के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष और लोकतंत्र की बहाली के लिए उनके योगदान को मान्यता देते हुए दिया। समिति ने उन्हें एक साहसी और समर्पित शांति समर्थक बताया, जिन्होंने धमकियों, गिरफ्तारी और उत्पीड़न के बावजूद लोकतंत्र की अलख जलाए रखी।
This recognition of the struggle of all Venezuelans is a boost to conclude our task: to conquer Freedom. We are on the threshold of victory and today, more than ever, we count on President Trump, the people of the United States, the peoples of Latin America, and the democratic… — María Corina Machado (@MariaCorinaYA) October 10, 2025
मारिया कोरिना मचाडो ने वेनेजुएला में राष्ट्रपति निकोलस मादुरो की सरकार के खिलाफ मुखर होकर लोकतंत्र की बहाली की मांग की। चुनावों में कथित गड़बड़ियों और सत्ता पक्ष की धमकियों के बावजूद उन्होंने संघर्ष नहीं छोड़ा। वे अब विपक्ष की एकता और हिम्मत का प्रतीक मानी जाती हैं।
नोबेल जीतने के बाद मचाडो ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, यह पुरस्कार वेनेजुएला के लोगों के संघर्ष की पहचान है। अब हम लोकतंत्र के और करीब हैं। हमें राष्ट्रपति ट्रंप और सभी लोकतांत्रिक देशों का समर्थन चाहिए। उन्होंने आगे लिखा, मैं यह पुरस्कार वेनेजुएला के लोगों और राष्ट्रपति ट्रंप को समर्पित करती हूँ, जिन्होंने हमारे संघर्ष का समर्थन किया। इससे पहले भी मचाडो ने अगस्त में ट्रंप का आभार जताया था, जब अमेरिका ने वेनेज़ुएलाई राष्ट्रपति मादुरो की गिरफ्तारी पर इनाम बढ़ाकर 5 करोड़ डॉलर कर दिया था।
मारिया कोरिना मचाडो को अक्सर वेनेज़ुएला की आयरन लेडी कहा जाता है। हाल ही में वो टाइम मैगजीन की 2025 की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में भी शामिल हुईं। उनके नेतृत्व और अडिग रुख ने वेनेज़ुएला में लोकतंत्र के पक्ष में एक नई ऊर्जा पैदा की है।
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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के एक प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे। उन्होंने दावा किया था कि अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने “आठ युद्धों को रोका।” हालांकि, नोबेल समिति ने उनको नहीं चुना। राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, यह ट्रंप के लिए राजनीतिक और व्यक्तिगत झटका माना जा रहा है।