पाकिस्तान में पोलियो का नया केस सामने आया (फोटो- सोशल मीडिया)
Polio in Pakistan: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में पोलियो का एक और नया मामला सामने आया है, जिससे साल 2025 में अब तक देश में रिपोर्ट किए गए मामलों की कुल संख्या बढ़कर 24 हो गई है। इस खुलासे ने एक बार फिर पाकिस्तान की पोल खोल दी है। शहबाज शरीफ सरकार के पास चीन और तुर्की से भारत पर हमला करने के लिए हथियार खरीदने के लिए तो पैसे है, लेकिन देश के बच्चों को पोलिया की दवाई उपल्बध कराने के लिए नहीं।
इस्लामाबाद स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ (एनआईएच) की क्षेत्रीय पोलियो उन्मूलन प्रयोगशाला ने सोमवार को पुष्टि की कि यह मामला टैंक जिले की यूनियन काउंसिल पिंग ए से सामने आया है। संक्रमित बच्ची की उम्र 20 महीने है और वह जंडोला तहसील के बेतानी जनजातीय क्षेत्र की निवासी है। उसकी कोई यात्रा इतिहास नहीं होने से यह स्पष्ट होता है कि वायरस स्थानीय स्तर पर फैल रहा है और इस क्षेत्र में टीकाकरण की पहुंच सीमित है।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस साल अब तक सामने आए 24 मामलों में से 16 खैबर पख्तूनख्वा, 6 सिंध, 1 पंजाब और 1 पाकिस्तान-अधिकृत गिलगित-बाल्टिस्तान से हैं। नेशनल इमरजेंसी ऑपरेशंस सेंटर (NEOC) के अधिकारियों ने इस घटनाक्रम को “चिंताजनक लेकिन अप्रत्याशित नहीं” बताया है। उनके अनुसार, देश के सुरक्षा की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों में बच्चों तक टीकाकरण पहुंचाना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है, विशेष रूप से टैंक, उत्तर और दक्षिण वजीरिस्तान तथा अन्य जनजातीय क्षेत्रों में।
सोमवार से पूरे पाकिस्तान में पोलियो उन्मूलन अभियान की एक नई लहर शुरू की गई है, जिसका उद्देश्य पांच वर्ष से कम उम्र के 2.8 करोड़ से अधिक बच्चों को पोलियो रोधी टीके देना है। इस राष्ट्रव्यापी प्रयास में 2.4 लाख से अधिक पोलियो कार्यकर्ता भाग ले रहे हैं।
बता दे कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान दुनिया के केवल दो ऐसे देश हैं, जहां अब भी वाइल्ड पोलियोवायरस स्थानिक (एंडेमिक) रूप से मौजूद है। देश के उत्तर-पश्चिम और दक्षिण-पश्चिम हिस्सों में पोलियो कार्यकर्ताओं को हमलों का भी सामना करना पड़ता है, जिससे अभियान की राह और अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाती है।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, पोलियो एक अत्यधिक संक्रामक वायरल बीमारी है जो मुख्य रूप से पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। इसका कोई इलाज नहीं है, लेकिन बार-बार दी जाने वाली वैक्सीन से बच्चों को जीवनभर की सुरक्षा प्रदान की जा सकती है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)