
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार, फोटो ( सो. सोशल मीडिया)
Pakistan Afghanistan Policy Failure: पाकिस्तान की सियासत में इन दिनों अफगानिस्तान नीति को लेकर बड़ा हंगामा मचा हुआ है। विदेश मंत्री और उपप्रधानमंत्री इशाक डार ने सार्वजनिक मंच से स्वीकार किया कि पाकिस्तान की तालिबान नीति ने देश की आंतरिक सुरक्षा को तबाह कर दिया है। उन्होंने इसे ऐतिहासिक भूल करार देते हुए कहा कि अब वक्त आ गया है जब पाकिस्तान को अपनी गलतियों से सीख लेनी चाहिए।
इशाक डार ने इस बयान के जरिए अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार और आईएसआई के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल फैज हमीद पर निशाना साधा। डार ने कहा कि यही वे लोग थे जिन्होंने अफगान तालिबान से नजदीकियां बढ़ाने की नीति अपनाई और उसे “सफल कूटनीतिक रणनीति” के रूप में पेश किया।
एक टीवी कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए डार ने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा कि पाकिस्तान ने इतनी आउटरीच की कि जब हम वहां गए तो कहा गया कि हम तो सिर्फ एक कप चाय पीने आए हैं। अल्लाह सबकी मुश्किलें आसान करे, लेकिन वो एक कप चाय हमें बहुत भारी पड़ गया।
उन्होंने आगे कहा कि उसी एक कप चाय ने पाकिस्तान की सीमाएं खोल दीं और 35 से 40 हजार तालिबान लड़ाके जो पहले पाकिस्तान से भाग गए थे अब वापस लौट आए। डार ने बताया कि उस दौर की सरकार ने स्वात घाटी में पाकिस्तान का झंडा जलाने वाले और निर्दोष नागरिकों की हत्या करने वाले खतरनाक आतंकियों को भी रिहा कर दिया था। उन्होंने कहा कि हमने खुद अपनी सीमाएं कमजोर कीं अपने दुश्मनों को दोबारा ताकतवर होने का मौका दिया। यह हमारी सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी गलती थी।
डार के इस बयान के बाद पाकिस्तान की राजनीति में भूचाल आ गया है। विपक्षी दलों ने इमरान खान और उनकी सरकार पर देश को आतंकवाद के हवाले करने का आरोप लगाया है। वहीं इमरान खान के समर्थक इसे राजनीतिक बचाव का प्रयास बता रहे हैं।
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि डार का बयान पाकिस्तान की मौजूदा सुरक्षा नीति में बदलाव का संकेत देता है। यह स्वीकारोक्ति इस बात की गवाही है कि अब पाकिस्तान को अपनी रणनीतिक गहराई की पुरानी सोच पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।
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इशाक डार ने अपने संबोधन में कहा कि देश को अब “संयम और विवेक” के साथ आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि बीते फैसलों की कीमत पाकिस्तान आज खून-खराबे, आतंक और अस्थिरता के रूप में चुका रहा है।






