
नीतीश कुमार के हिजाब विवाद में कूदा पाकिस्तान (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pakistan on Nitish Kumar Hijab Controversy: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हाल ही में एक सरकारी कार्यक्रम के दौरान एक मुस्लिम महिला डॉक्टर का हिजाब हटाने की कोशिश की थी। जिसे लेकर उन्हें हर जगह से आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच पाकिस्तान ने विदेश मंत्री इशाक डार ने भी उस पर आपत्ति जताई है। पाकिस्तानी नेता ने इसे शर्मनाक हरकत करार दिया।
कार्यक्रम के दौरान एक महिला डॉक्टर नुसरत परवीन का हिजाब उतारने का आदेश देने को लेकर विवाद हुआ। इस घटना के बाद कई लोगों ने मुख्यमंत्री की आलोचना की, जिसमें फिल्म अभिनेत्री राखी सावंत भी शामिल हैं। लखनऊ की एक महिला ने इस घटना को लेकर पुलिस में एफआईआर दर्ज कराई। इसके चलते नुसरत परवीन अस्थायी रूप से बिहार छोड़कर अपने परिवार के पास कोलकाता चली गईं।
इशाक डार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर इस घटना की निंदा की। उन्होंने इसे शर्मनाक बताया और कहा कि यह दिखाता है कि अल्पसंख्यक अधिकारों की रक्षा करने और इस्लामोफोबिया रोकने की आवश्यकता है। डार ने आगे कहा कि महिलाओं और धार्मिक मान्यताओं के प्रति सम्मान हर समाज में बुनियादी और गैर-समझौता योग्य होना चाहिए।
The shameful incident involving the disrespect of a Muslim woman in Bihar is reprehensible and extremely disturbing.
Such acts underscore the imperative to safeguard minority rights and to address the troubling rise of Islamophobia. Respect for women and religious beliefs must… https://t.co/19NbkYordo — Ishaq Dar (@MIshaqDar50) December 17, 2025
पाकिस्तान की मानवाधिकार परिषद ने भी इस घटना की आलोचना की और भारत सरकार से इस मामले में पारदर्शी और निष्पक्ष जांच करने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह केवल एक व्यक्ति का अपमान नहीं है, बल्कि मानवीय गरिमा, धार्मिक स्वतंत्रता, महिलाओं की व्यक्तिगत आज़ादी और मूलभूत अधिकारों पर हमला है।
इस बीच बिहार सरकार के मंत्री जमा खान ने मुख्यमंत्री का बचाव किया। उन्होंने कहा कि इस कृत्य के पीछे कोई गलत इरादा नहीं था। उन्होंने बताया कि नीतीश कुमार समाज के हर वर्ग के लिए काम करते हैं और महिला डॉक्टर को अपने परिवार की बेटी जैसा मानते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष इस मुद्दे को राजनीतिक रंग दे रहा है और पाकिस्तान से धमकी मिलने की खबरें गलत हैं।
इस घटना ने समाज में धार्मिक स्वतंत्रता और महिला अधिकारों के मुद्दे पर बहस को बढ़ा दिया है। नुसरत परवीन के लिए भी यह समय कठिन रहा है, क्योंकि उनकी सुरक्षा और मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं।






