पश्तून प्रदर्शनकारियों पर सेना ने की गोलीबारी (फोटो- सोशल मीडिया)
Pak Army Opens Fire on Pashtun Protesters: पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत से इंसानियत को शर्मसार करने वाला खबर सामने आ रही है। यहां एक नाबालिग लड़की के लिए इंसाफ की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों पर अंधाधुंध फायरिंग की गई, जिसमें सात लोगों की मौत हो गई। यह विरोध प्रदर्शन पाकिस्तान सेना के एक बेस के सामने हो रहा था। स्थानीय लोग सेना द्वारा आतंकवाद रोधी अभियानों की आड़ में की जा रही ज्यादतियों के खिलाफ अपनी आवाज उठा रहे थे।
घटना की शुरुआत खैबर जिले के जखा खैल इलाके में एक मोर्टार हमले से हुई, जिसमें एक युवती की मौत हो गई थी। इससे नाराज लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हुए और मोमंद गुज नामक सुरक्षा चौकी के बाहर युवती का शव रखकर सेना से जवाबदेही की मांग करने लगे। प्रदर्शन के दौरान अचानक गोलीबारी शुरू हो गई। जिसमें कई लोग मारे गए। कुछ वीडियो भी सामने आए हैं, जिनमें पाकिस्तानी सेना पर गोली चलाने के आरोप लगाए जा रहे हैं। हालांकि, इन आरोपों की अब तक आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी है।
घटना स्थल पर मौजूद चश्मदीदों ने प्रदर्शनकारियों पर हुई गोलीबारी के लिए पाकिस्तान आर्मी को जिम्मेदार ठहराया। उनका कहना है कि यह गोलीबारी सेना के इशारे पर की गई। खैबर पख्तूनख्वा (केपीके) प्रांत पाकिस्तान के लिए लगातार चिंता का कारण बनता जा रहा है। स्थानीय लोगों के बीच पाक सेना की कार्रवाइयों को लेकर नाराजगी बढ़ती जा रही है।
7 civilians killed, 16 injured as Pakistan Army opens fire on protesting Pashtuns in Tirah Valley, KPK.
This is face of a covered army 🇵🇰
CIA Director John Ratcliffe pic.twitter.com/8BKOTOTYNc
— Global__Perspectives (@Global__persp1) July 27, 2025
कई अंतरराष्ट्रीय रिपोर्टों में यह बात सामने आई है कि पाकिस्तान सेना ने केपीके और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन किया है। इसका नतीजा यह है कि इन इलाकों में जनता का गुस्सा लगातार उभरकर सामने आ रहा है।
पाक सेना पर केपीके और बलूचिस्तान में जबरन गुमशुदगी, हिरासत में मौत और गैरकानूनी गिरफ्तारियों जैसे गंभीर आरोप लगते रहे हैं। इसी कारण बलूचिस्तान में हाल के दिनों में हिंसा में तेजी आई है। खासकर पाकिस्तान सेना और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) से जुड़ी परियोजनाएं हमलों का निशाना बनी हैं।
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इन इलाकों में पाकिस्तानी सेना और सुरक्षाबलों द्वारा नागरिकों को हिरासत में लिए जाने की घटनाएं आम हो गई हैं, लेकिन उनके परिजनों को कोई जानकारी नहीं दी जाती। लापता लोगों के परिवार लगातार धरने और विरोध प्रदर्शन करते रहते हैं।