नेपाल में मनाया जा रहा कुकुर तिहार (सोर्स- सोशल मीडिया)
Diwali Celebration: भारत में दिवाली का जश्न अपने सुरूर पर है। वहीं नेपाल के लोग दिवाली के मौक पर एक खास त्योहार माना रहे हैं। जिसमें किसी भगवान की पूजा नहीं होती बल्कि कुत्तों को पूजा जाता है। नेपाल में इसे कुकुर तिहार का त्योहार कहा जाता है। इसे कुत्तों के प्रति विशेष सम्मान और प्यार का प्रतीक का त्योहार माना जाता है।
इस दिन कुत्तों को मृत्यु के देवता यम के दूत माना जाता है और उन्हें फूलों की माला, सिंदूर, रोटी और अन्य व्यंजन देकर पूजा की जाती है। यह पर्व नेपाल में कुत्तों के प्रति प्रेम और उनके महत्व को दिखाता है। नेपाल के अलावा इसे पश्चिम बंगाल के कुछ इलाकों में भी मनाया जाता है।
नेपाल पुलिस के कैनाइन डिवीजन के कुत्तों ने इस अवसर पर अपनी अद्भुत क्षमताओं का प्रदर्शन किया। ये कुत्ते अपराधों के सुराग ढूंढने, सबूत इकट्ठा करने, मलबे में दबे लोगों को खोजने और विदेशी वीवीआईपी दौरों में सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। डिवीजन ने इन सेवा में लगे कुत्तों को फूल, माला, सिंदूर और पुरस्कार देकर सम्मानित किया। इसके अलावा कुत्तों को इंसानों का सबसे अच्छादोस्त भी माना जाता है।
#WATCH | West Bengal: Animal lovers celebrated Kukur Tihar Puja at a street dog rescue centre in Siliguri today, to honour dogs. Kukur Tihar literally means the worship of dogs. This is a mini-festival within the larger celebration of Diwali, the festival of lights. pic.twitter.com/Mqnncab2Xo — ANI (@ANI) October 20, 2025
इस साल डिवीजन ने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले कुत्तों को पदक भी प्रदान किए। उन्होंने नशे के तस्करों की पहचान करने, खोज एवं बचाव कार्यों और अपराध समाधान में योगदान देने वाले कुत्तों की विशेष सराहना की। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कुकुर तिहार के मौके पर कुत्तों की वफादारी और बहादुरी की महिमा को कविता के माध्यम से व्यक्त किया।
इस समारोह में एक कुत्ते को ‘डॉग ऑफ द ईयर’ का खिताब भी मिला, जो उसकी अद्वितीय सेवा का सम्मान था। नेपाल के लोग इस त्योहार को काठमांडू का सबसे आनंदमय और खास पर्व मानते हैं, जो कुत्तों की दोस्ती और निष्ठा का जश्न मनाता है। उन्होंने कहा कि विश्व के अन्य देशों को भी नेपाल से प्रेरणा लेकर कुत्तों के प्रति सम्मान और प्रेम बढ़ाना चाहिए।
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ऋग्वेद में कुत्तों की माता समारा का जिक्र मिलता है, जिन्होंने स्वर्ग के शासक इंद्र की चोरी हुए मवेशियों को वापस लाने में मदद की थी। यह उत्सव इंसानों और कुत्तों के बीच गहरे और प्राचीन रिश्ते का प्रतीक है, जिसे अनेक कथाओं और किंवदंतियों के माध्यम से समझा जा सकता है।