पाकिस्तान पर लगे गाजा पर दिखावा करने का आरोप (फोटो- सोशल मीडिया)
Pakistan on Palestine: गाजा में मानवीय संकट को एक साल से ज्यादा हो गया है। इस बीच पाकिस्तान की सेना पर फिर से आलोचना हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि पाकिस्तान केवल दिखावटी तरीके से फिलिस्तीन के समर्थन की बातें करता है, लेकिन असली नीति में कोई बदलाव नहीं लाता। इजराइली आक्रमण की निंदा करने और “मुस्लिम एकता” का आह्वान करने वाले कई सार्वजनिक बयानों के बावजूद, पाकिस्तान केवल दिखावा करता है।
‘मिडिल ईस्ट मॉनिटर’ द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, आमतौर पर ये बयान तब दिए जाते हैं जब गाजा में बच्चों की मौत की तस्वीरें दुनिया भर में चर्चा में होती हैं या जब संघर्षविराम की बातचीत चल रही होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे मौकों पर, पाकिस्तानी अधिकारी, खासकर रक्षा मंत्रालय के अधिकारी, समर्थन की गंभीर घोषणाएं करते हैं।
मिडिल ईस्ट मॉनिटर ने इसे लेकर तर्क दिया है कि ये बयान असल कूटनीतिक रुख दिखाने के बजाए राजनीतिक नाटक ज्यादा होते हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान की सेना के असली मकसद लंबे समय से अलग रहे हैं और दशकों से रावलपिंडी के जनरल मुस्लिम हितों के रक्षक के रूप में नहीं, बल्कि रणनीतिक कर्ता के रूप में काम करते रहे हैं। उन्होंने अक्सर अपने फायदे के लिए विदेशी ताकतों का साथ दिया है। इसमें अरब देशों में विद्रोहों को दबाने के लिए सेना भेजने से लेकर अमेरिकी सैन्य अभियानों का समर्थन करने तक के उदाहरण शामिल हैं।
रिपोर्ट बताती है कि फिलिस्तीनी मुद्दे को एक बयानबाजी के हथियार के रूप में देखा जाता है। जब जनता में भावनाएं तेज होती हैं, तो इसे उठाया जाता है, लेकिन असली कदम कभी नहीं उठाए जाते। सेना इसे “राष्ट्रीय हित” और “रणनीतिक संतुलन” कहकर सही ठहराती है, जबकि असल मकसद अपनी शक्ति और फायदों को सुरक्षित करना होता है।
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विशेषज्ञ पाकिस्तान की सेना की तुलना इजरायल से भी करते हैं। वो कहते हैं कि पाकिस्तानी जनरल्स इजरायल की उस व्यवस्था से प्रभावित हैं, जहां सेना सरकार पर हावी रहती है और संकट के माहौल में अपनी ताकत बढ़ाती है। हालांकि पाकिस्तान के पास इजरायल जैसी क्षमता और वैश्विक प्रभाव नहीं है।
एजेंसी इनपुट के साथ-