टोरंटो. खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर (Hardeep Singh Nijjar) की हत्या को लेकर भारत और कनाडा के बीच कूटनीतिक विवाद जारी हैं। इसी बीच सोमवार को ओटावा में भारतीय उच्चायोग और टोरंटो और वैंकूवर में वाणिज्य दूतावास के बाहर सोमवार को करीब 500 खालिस्तानियों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने निज्जर की हत्या को लेकर भारत सरकार की निंदा की। साथ ही तिरंगे का अपमान किया।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, कनाडा के ओटावा, टोरंटो और वैंकूवर में प्रदर्शनकारियों ने खालिस्तान झंडे लहराए और अलगाववादी नारे लगाए। वहीं, टोरंटो में कुछ लोगों ने तिरंगा जलाया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कटआउट पर जूते फेंककर मारे।
Protesters spit on effigy of Indian Prime Minister Narendra Modi and smack it with a shoe. Outside Indian consulate in Toronto. pic.twitter.com/WpZPLQFfp5
— ??á? ?’???? Global News (@ConsumerSOS) September 25, 2023
गौरतलब है कि ब्रिटिश कोलंबिया में बीते 18 जून को भारत में नामित आतंकवादी और खालिस्तानी अलगाववादी नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या हो गई थी। इसके बाद कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने इस हत्या के पीछे भारतीय राजनयिक और जासूसों की संलिप्तता का गंभीर आरोप लगा दिया था, जिसके बाद भारत और कनाडा के बीच तनाव बढ़ गया है। भारत सरकार ने जस्टिन ट्रूडो के इन सभी आरोपों को ‘बेतुका’ और ‘तथ्यहीन’ बताते हुए सिरे से खारिज कर दिया और कनाडाई नागरिकों के लिए वीज़ा सेवाएं भी निलंबित कर दी हैं।
रिपोर्ट के अनुसार टोरंटो में सोमवार को विरोध प्रदर्शन में 100 से 150 सदस्यों के शामिल होने की उम्मीद थी, लेकिन निर्धारित समय पर केवल एक दर्जन लोग ही शामिल हुए। इस दौरान तनावपूर्ण स्थिति की आशंका के चलते कनाडाई अधिकारियों ने सड़कें बंद कर दी थीं और भारतीय उच्चायोग और वाणिज्य दूतावास की इमारतों के आसपास बैरिकेड्स लगा दिए थे।
ओटावा में एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “हम वास्तव में जस्टिन ट्रूडो के आभारी हैं। हम चाहते हैं कि इस कायरतापूर्ण कृत्य की तह तक जाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाए। कनाडा को भारत पर भविष्य में निर्दोष लोगों की हत्या रोकने के लिए दबाव डालना चाहिए।”
गौरतलब है कि कनाडा लगभग 7,70,000 सिखों का घर है, जो पंजाब के बाहर सिखों की सबसे अधिक आबादी है। पिछले कुछ वर्षों में कई प्रदर्शन हुए हैं जिन्होंने भारत को परेशान किया है। सिख भारत की 1.4 अरब आबादी का केवल 2% हैं, लेकिन वे पंजाब में बहुसंख्यक हैं। 30 मिलियन (3 करोड़) की आबादी वाला राज्य जहां उनके धर्म का जन्म 500 साल पहले हुआ था।