प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Israel Somaliland Recognition: इजरायल ने हॉर्न ऑफ अफ्रीका में स्थित स्वयं-घोषित राज्य सोमालिलैंड को औपचारिक मान्यता देकर वैश्विक राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। इस फैसले के साथ इजराइल ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है जिसने सोमालिलैंड को एक स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र के रूप में स्वीकार किया है।
सोमालिलैंड पिछले तीन दशकों से एक de facto राज्य के रूप में कार्य कर रहा है। 1991 में सोमालिया की केंद्रीय सरकार के पतन और लंबे गृहयुद्ध के बाद इस क्षेत्र ने खुद को सोमालिया से अलग घोषित कर दिया था। तब से यहां अपनी निर्वाचित सरकार, अलग मुद्रा, सुरक्षा बल और प्रशासनिक ढांचा मौजूद है लेकिन अब तक किसी भी संयुक्त राष्ट्र सदस्य देश से इसे औपचारिक मान्यता नहीं मिली थी।
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले की घोषणा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर की। उन्होंने कहा कि यह कदम अब्राहम समझौतों की भावना के अनुरूप उठाया गया है जिनकी पहल अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पहले कार्यकाल में हुई थी। नेतन्याहू के मुताबिक, इजरायल और सोमालिलैंड के बीच संयुक्त घोषणा पर हस्ताक्षर किए गए हैं जिसमें विदेश मंत्री गिदोन साआर और सोमालिलैंड के राष्ट्रपति डॉ. अब्दिरहमान मोहम्मद अब्दुल्लाह भी शामिल रहे।
नेतन्याहू ने सोमालिलैंड के राष्ट्रपति को बधाई देते हुए वहां की स्थिरता और शांति बनाए रखने के प्रयासों की सराहना की। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति अब्दुल्लाह को इजरायल की आधिकारिक यात्रा के लिए आमंत्रित भी किया। इजरायली प्रधानमंत्री ने संकेत दिए कि आने वाले समय में दोनों देशों के बीच कृषि, स्वास्थ्य, प्रौद्योगिकी और आर्थिक क्षेत्रों में व्यापक सहयोग बढ़ाया जाएगा।
हालांकि, इजरायल के इस फैसले पर क्षेत्रीय स्तर पर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं। सोमालिया ने हमेशा से सोमालिलैंड के अलग होने का विरोध किया है और इसे अपनी क्षेत्रीय अखंडता के खिलाफ मानता रहा है। मिस्र, तुर्की और जिबूती ने भी इस फैसले की निंदा की है। मिस्र के विदेश मंत्रालय के अनुसार, इन देशों के विदेश मंत्रियों ने फोन पर बातचीत कर इजरायल के कदम को खतरनाक बताते हुए सोमालिया की एकता और संप्रभुता के समर्थन को दोहराया है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल की यह मान्यता हॉर्न ऑफ अफ्रीका में कूटनीतिक समीकरणों को नया आकार दे सकती है। यह न केवल सोमालिलैंड की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को मजबूत कर सकती है, बल्कि क्षेत्र में नई भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को भी जन्म दे सकती है।