इजरायल का सीरिया पर जोरदार हवाई हमला, (डिजाइन फोटो)
दमिश्क: इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि इजरायल ने सीरिया में दो सख्त सीमाएं तय की हैं, जिन्हें किसी भी हाल में पार नहीं करने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि इन रेड लाइन का उल्लंघन रोकने के लिए इजरायल सैन्य कार्रवाई करता रहेगा। नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि सीरियाई राष्ट्रपति अहमद अल-शरा की सरकार ने हाल ही में इन दोनों सीमाओं का उल्लंघन किया है। ये दो सीमाएं हैं जिसमें इजरायल सीमा के पास दमिश्क के दक्षिणी इलाके को सैन्य गतिविधियों से मुक्त रखना और सीरिया में ड्रूज अल्पसंख्यक समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करना।
नेतन्याहू ने एक वीडियो बयान में कहा कि अल-शरा सरकार ने दक्षिण दमिश्क के उस इलाके में सैन्य तैनाती की है, जिसे निर्सैन्य क्षेत्र होना चाहिए था, और वहां ड्रूज समुदाय पर नरसंहार शुरू कर दिया। उन्होंने कहा, “हम इस तरह की कार्रवाई को किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं करेंगे।” प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि दक्षिणी सीरिया के ड्रूज-बहुल स्वेदा प्रांत में युद्धविराम केवल ताकत के दम पर संभव हुआ है।
नेतन्याहू ने कहा कि, “हमने पहले भी कार्रवाई की है और जरूरत पड़ी तो आगे भी करते रहेंगे।” इससे पहले बुधवार को अहमद अल-शरा के नेतृत्व में सीरियाई सरकार ने स्वेदा क्षेत्र में युद्धविराम को स्वीकार करते हुए अपनी सेना को पीछे हटाना शुरू कर दिया था। यह कदम इजरायल के भीषण हवाई हमलों के बाद उठाया गया, जिनमें इजरायली वायुसेना ने सीरियाई सरकारी ठिकानों को निशाना बनाया था। राजधानी दमिश्क में स्थित सीरियाई रक्षा मंत्रालय की इमारत भी इन हमलों की चपेट में आई थी।
सीरियाई सरकारी समाचार एजेंसी सना के अनुसार, युद्धविराम के बावजूद गुरुवार को इजरायल ने स्वेदा प्रांत के आसपास के इलाकों में फिर से हवाई हमले किए। स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि इन हमलों में सुन्नी बेडौइन जनजातियों से जुड़े सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया। बताया जा रहा है कि इन जनजातियों ने हाल ही में स्वेदा के एक गांव पर कब्जा कर लिया था।
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सीरियाई मीडिया की रिपोर्टों के उलट, इजरायल के एक चैनल ने दावा किया है कि यह हमला इजरायली सेना द्वारा नहीं किया गया था। हालांकि, बुधवार को इजरायल ने दमिश्क में हवाई हमले जरूर किए थे और वहां मौजूद सरकारी सेनाओं से पीछे हटने की अपील की थी। इजरायल का कहना है कि उसका मकसद सीरिया में रहने वाले ड्रूज समुदाय की सुरक्षा करना था। ड्रूज एक छोटा लेकिन प्रभावशाली अल्पसंख्यक समूह है, जो न केवल सीरिया में, बल्कि लेबनान और इजरायल में भी पाया जाता है। इजरायल में ड्रूज समुदाय को वफादार माना जाता है और वे बड़ी संख्या में इजरायली सेना में सेवाएं दे रहे हैं।