ईरान ने अमेरिका को दे दी धमकी, फोटो ( सो. सोशल मीडिया )
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: अमेरिका में राष्ट्रपति ट्रंप के सत्ता में आने के बाद से ईरान पर लगातार दबाव बनाया जा रहा है, लेकिन अब ईरान ने इसका कड़ा जवाब दिया है। ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने मंगलवार को स्पष्ट रूप से कहा कि उनके देश पर किसी भी तरह की धमकियों का असर नहीं होगा और वे अमेरिका के साथ अपने परमाणु कार्यक्रम को लेकर कोई बातचीत नहीं करेंगे। उन्होंने ट्रंप को सीधा संदेश देते हुए कहा, “जो करना है कर लो।”
इसके अलावा, ईरान ने अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने के लिए रूस और चीन के साथ संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है। पेजेश्कियान ने कहा कि उनका देश अमेरिका के आदेश और धमकियों को स्वीकार नहीं करेगा और वे इस पर कोई चर्चा भी नहीं करेंगे।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामेनेई ने शनिवार को स्पष्ट किया कि उनका देश किसी भी तरह के दबाव में आकर बातचीत नहीं करेगा। यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे के बाद आया, जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्होंने ईरान के साथ एक नए परमाणु समझौते के लिए खामेनेई को पत्र लिखा है। हालांकि, ईरान ने इस दावे का खंडन करते हुए कहा कि उसे ऐसा कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है। वहीं, ट्रंप प्रशासन ने ईरान पर फिर से ‘अधिकतम दबाव’ की नीति लागू कर दी है, जिसके तहत अमेरिका ईरान की अर्थव्यवस्था को कमजोर करने और उसके तेल निर्यात को पूरी तरह समाप्त करने की कोशिश कर रहा है।
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अपने पहले कार्यकाल के दौरान, डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग-थलग करने और उसके तेल निर्यात को पूरी तरह खत्म करने के लिए सख्त नीतियां अपनाई थीं। हालांकि, इस बार उनके रुख में बदलाव देखने को मिल रहा है। दूसरी तरफ, ईरान लगातार यह दावा करता रहा है कि उसका परमाणु हथियार विकसित करने का कोई इरादा नहीं है। बावजूद इसके, 2019 से उसने अपने परमाणु कार्यक्रम में तेजी लाई है। इससे पहले, ट्रंप ने अमेरिका के राष्ट्रपति रहते हुए 2015 में छह देशों और ईरान के बीच हुए परमाणु समझौते को समाप्त कर दिया था और इस्लामी गणराज्य पर कठोर आर्थिक प्रतिबंध दोबारा लागू कर दिए थे।
ईरान ने मंगलवार को रूस और चीन के साथ मिलकर एक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास किया, जिसे “मैरिटाइम सिक्योरिटी बेल्ट 2025” नाम दिया गया है। यह अभ्यास रणनीतिक रूप से अहम ओमान की खाड़ी में आयोजित किया गया, जो होर्मुज जलडमरूमध्य के नजदीक स्थित है। यह क्षेत्र वैश्विक तेल व्यापार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां से दुनिया के कुल तेल व्यापार का लगभग पांचवां हिस्सा गुजरता है। यह लगातार पांचवां वर्ष है जब इन तीन देशों ने इस सैन्य अभ्यास में भाग लिया है।