अयातुल्ला अली खामेनेई, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
IRAN REJECTS NUCLEAR NEGOTIATION: ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने मंगलवार को स्पष्ट करते हुए कहा कि अमेरिका के साथ सीधे परमाणु वार्ता का कोई प्रस्ताव स्वीकार नहीं किया जाएगा। उनका कहना है कि ईरान को इस बात का डर है कि संयुक्त राष्ट्र फिर से परमाणु प्रतिबंध लागू कर सकता है। रिपोर्ट के अनुसार, खामेनेई ने टेलीविजन संबोधन में कहा कि अमेरिका के साथ बातचीत ईरान के लिए कोई फायदा नहीं पहुंचाएगी। इसके बजाय, मौजूदा हालात में इससे नुकसान होने की संभावना अधिक है, जिसमें कुछ नुकसान अपूरणीय भी हो सकते हैं।
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने स्पष्ट किया है कि उनकी सरकार यूरेनियम संवर्धन को रोकने के दबाव में नहीं आएगी। उन्होंने टेलीविजन पर दिए अपने भाषण में कहा कि अमेरिका के साथ कोई भी वार्ता लंबे समय तक चलेगी और इससे ईरान को कोई फायदा नहीं होगा। यह बयान ऐसे समय में आया है जब यूरोपीय देशों ने ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कड़ी नज़र रखने और उस पर सख्त प्रतिबंध लगाने की मांग की है। खामेनेई ने यह भी कहा कि अमेरिकी पक्ष इस बात पर अड़ा हुआ है कि ईरान को अपने यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम को रोकना चाहिए, लेकिन किसी समझौते की कोई संभावना नजर नहीं आ रही।
उन्होंने स्पष्ट किया कि ईरान कभी नहीं आत्मसमर्पण करेगा करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी मामले में दबाव के सामने ईरान झुकता नहीं है और भविष्य में भी नहीं झुकेगा। सर्वोच्च नेता ने यह भी बताया कि अमेरिका के साथ किसी भी प्रकार की बातचीत ईरान के लिए नुकसानदायक होगी। उनका कहना था कि वर्तमान परिस्थितियों में अमेरिका से बातचीत करने का कोई लाभ नहीं है, बल्कि इससे बहुत बड़ा नुकसान ही होगा।
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यूरोपीय देश और अमेरिका इस बात पर संदेह जता रहे हैं कि ईरान सरकार परमाणु हथियार विकसित करने का प्रयास कर रही है, जबकि तेहरान ने इसे पूरी तरह से नकारते हुए कहा है कि उसका अधिकार केवल शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा तक ही सीमित है। इज़रायल ने जून में ईरानी परमाणु सुविधाओं के खिलाफ एक बड़ा सैन्य अभियान चलाया था, जिसमें अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रमुख स्थलों पर अमेरिकी लड़ाकू विमानों से हमले का आदेश दिया। ट्रंप प्रशासन लंबे समय से ईरान पर प्रतिबंधों को कड़ा करने के पक्ष में रहा है, फिर भी उसने ईरान के साथ बातचीत की संभावना जताई, जिससे वाशिंगटन की नीयत पर सवाल उठ रहे हैं।