नोबेल पुरस्कार के लिए डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से बिगाड़े रिश्ते (सोर्स-सोशल मीडिया)
Francis Fukuyama Criticism Trump: अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर अपने बयानों और फैसलों को लेकर विवादों के केंद्र में आ गए हैं। मशहूर अमेरिकी राजनीतिक विचारक और प्रोफेसर फ्रांसिस फुकुयामा ने ट्रंप पर अपने निजी स्वार्थ के लिए भारत और अमेरिका के महत्वपूर्ण रिश्तों को दांव पर लगाने का सनसनीखेज आरोप लगाया है।
फुकुयामा के अनुसार ट्रंप ने भारत के साथ संबंधों को केवल इसलिए प्रभावित किया क्योंकि उन्हें वहां से अपेक्षित राजनीतिक समर्थन नहीं मिला। इस खुलासे के बाद अंतरराष्ट्रीय राजनीति में नई बहस छिड़ गई है और ट्रंप की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं।
स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर और प्रसिद्ध पुस्तक ‘द एंड ऑफ हिस्ट्री’ के लेखक फ्रांसिस फुकुयामा ने एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थान को दिए इंटरव्यू में ट्रंप की जमकर आलोचना की है।
उन्होंने दावा किया कि चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए भारत अमेरिका का सबसे महत्वपूर्ण रणनीतिक साझेदार है लेकिन ट्रंप ने इस रिश्ते की गरिमा को नहीं समझा। फुकुयामा का मानना है कि डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों को महज इसलिए नुकसान पहुंचाया क्योंकि पीएम मोदी ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए ट्रंप की उम्मीदवारी का खुलकर समर्थन नहीं किया था।
अमेरिका के भीतर ही अब राष्ट्रपति ट्रंप की इस बात को लेकर काफी खिल्ली उड़ाई जा रही है कि वे अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों के लिए कूटनीतिक रिश्तों का इस्तेमाल कर रहे हैं। फुकुयामा के इस बयान ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ट्रंप की विदेश नीति अक्सर व्यक्तिगत उपलब्धियों और प्रशंसा के इर्द-गिर्द घूमती रही है।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर कोई वैश्विक नेता अपने व्यक्तिगत सम्मान के लिए दो लोकतांत्रिक देशों के रणनीतिक हितों को खतरे में डालता है तो यह वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए एक चिंताजनक संकेत है। इस घटनाक्रम ने भारत और अमेरिका के भविष्य के संबंधों पर भी एक नई अनिश्चितता पैदा कर दी है।
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प्रोफेसर फुकुयामा ने जोर देकर कहा कि आज के दौर में जब पूरी दुनिया चीन की विस्तारवादी नीतियों से परेशान है तब भारत की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाती है। ऐसे समय में ट्रंप द्वारा भारत के साथ संबंधों को ठंडे बस्ते में डालना या उन्हें कमजोर करना अमेरिका के अपने राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।
उन्होंने चेतावनी दी कि यदि व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाएं कूटनीति पर हावी रहेंगी तो अमेरिका अपने सबसे भरोसेमंद सहयोगियों को खो सकता है। फिलहाल इस मुद्दे पर ट्रंप प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक सफाई नहीं आई है लेकिन अमेरिकी बौद्धिक जगत में फुकुयामा के आरोपों ने हलचल मचा दी है।