बांग्लादेश के हिन्दुओं पर हिंसा के चित्र (सोर्स- सोशल मीडिया)
नई दिल्ली: भारत ने बांग्लादेश में हिंसक चरमपंथियों की रिहाई को लेकर गहरी चिंता व्यक्त की है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इससे वहां की कानून-व्यवस्था और बिगड़ सकती है। भारत ने बांग्लादेश सरकार से हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की है। बांग्लादेश में 5 अगस्त 2024 से 16 फरवरी 2025 तक 2374 हिंसक घटनाएं दर्ज हुईं, जिनमें से 1254 की पुलिस ने पुष्टि की। इनमें से 98% घटनाएं राजनीतिक हिंसा से जुड़ी थीं। भारत ने बांग्लादेश से उम्मीद जताई है कि वह हिंसा में शामिल सभी अपराधियों के खिलाफ निष्पक्ष कार्रवाई करेगा।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हाल ही में प्रतिबंधित इस्लामी संगठन हिज्ब उत-तहरीर (HuT) के खिलाफ कार्रवाई शुरू की है। अब तक 36 सदस्यों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें समूह के शीर्ष नेता सैफुल इस्लाम भी शामिल हैं। पुलिस ने शुक्रवार को ढाका में एक अनधिकृत सभा में शामिल HuT कार्यकर्ताओं को पकड़ने के लिए देशव्यापी अभियान चलाया। माना जाता है कि इस संगठन के संबंध पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ हुए छात्र आंदोलन से भी रहे हैं। HuT साल 2000 से बांग्लादेश में सक्रिय है, लेकिन 2009 में इसे ‘सार्वजनिक सुरक्षा के लिए खतरा’ बताते हुए प्रतिबंधित कर दिया गया था।
हिज्ब उत-तहरीर पर बांग्लादेश की कार्रवाई भारत के लिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, खासकर पश्चिम बंगाल और असम जैसे सीमावर्ती राज्यों में। भारत को लंबे समय से इस संगठन की गतिविधियों को लेकर चिंता रही है, क्योंकि यह शिक्षित युवाओं को कट्टरपंथी बनाने का प्रयास करता रहा है। बांग्लादेश की मौजूदा सरकार अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खुद को स्थिर और धर्मनिरपेक्ष दिखाने की कोशिश कर रही है।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 11 मार्च से मॉरीशस की दो दिवसीय यात्रा पर रहेंगे, जहां वह राष्ट्रीय दिवस समारोह में मुख्य अतिथि होंगे। इस दौरान भारतीय रक्षा बलों की टुकड़ी भी शामिल होगी। वहीं, भारत और भूटान के बीच सीमा मुद्दों पर दो दिवसीय बैठक हुई, जो चीन द्वारा भूटान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने के प्रयासों के बीच काफी अहम मानी जा रही है।