
कानूनी असमानता पर फिल्म 'हाय जिंदगी' और कोर्ट का दखल: पुरुषों को भी न्याय की जरूरत
Film Hi Zindagi Delhi High Court: भारतीय दंड संहिता (IPC) के बलात्कार प्रावधान, जिसे अब भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 63 के तहत लाया गया है, को ‘जेंडर न्यूट्रल’ बनाने की मांग अब अदालत तक पहुँच चुकी है। दिल्ली उच्च न्यायालय में इस संबंध में एक जनहित याचिका (PIL) दायर की गई है। संयोगवश, यह मुद्दा आगामी फिल्म ‘हाय जिंदगी’ का भी मुख्य विषय है, जो 14 नवंबर, 2025 को देशभर के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने वाली है।
बीएनएस की धारा 63 को लैंगिक रूप से तटस्थ (जेंडर न्यूट्रल) बनाने के लिए दायर इस याचिका को 29 अक्टूबर, 2025 को सूचीबद्ध किया गया था। माननीय मुख्य न्यायाधीश ने इसे डब्ल्यू.पी. (सीआरएल) 3274/2025 के साथ जोड़ने का आदेश दिया, जिसमें पहले ही ट्रांसजेंडर समुदाय से संबंधित इसी विषय पर केंद्र सरकार (UOI) को नोटिस जारी किया जा चुका है। गौरतलब है कि सितंबर, 2025 में पूर्व मुख्य न्यायाधीश श्री यू यू ललित जी ने भी सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में अपने भाषण के दौरान इस तथ्य को संबोधित किया था।
14 नवंबर, 2025 को रिलीज़ होने वाली फिल्म “हाय जिंदगी” कानून में लैंगिक असमानता के बारे में पुरुषों के लिए इसी तरह की आवाज उठाती है। फिल्म के निर्माता सुनील कुमार अग्रवाल और निर्देशक अजय राम ने इस संवेदनशील विषय को खूबसूरती से दर्शाया है। फिल्म यह दिखाती है कि एक पुरुष भी महिलाओं द्वारा बलात्कार और यौन उत्पीड़न का शिकार हो सकता है, लेकिन मौजूदा कानूनी प्रावधानों के तहत वह महिला के खिलाफ कोई कार्रवाई करने में असमर्थ है। फिल्म का मानना है कि ऐसे अपराधों से पुरुषों की सुरक्षा के लिए या तो नया कानून लाया जाए या मौजूदा प्रावधानों में संशोधन करके उन्हें ‘जेंडर न्यूट्रल’ बनाया जाए।
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यौन उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों में लैंगिक तटस्थता की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने अक्टूबर, 2025 में ही ट्रांसजेंडर समुदाय को यौन उत्पीड़न से संबंधित प्रावधानों में शामिल करने के मुद्दे पर दायर एक अन्य जनहित याचिका पर यूनियन ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया था। मौजूदा PIL (बीएनएस धारा 63 को जेंडर न्यूट्रल बनाने के लिए) को उसी मामले के साथ जोड़ना यह दर्शाता है कि अदालतें भी इस विषय की व्यापकता को स्वीकार कर रही हैं और कानून में बदलाव की आवश्यकता पर विचार कर रही हैं।
सी. आर. फिल्म्स और सुनील अग्रवाल फिल्म्स के बैनर तले बनी इस फिल्म की शूटिंग उत्तर प्रदेश के मथुरा में हुई है। फिल्म में गौरव सिंह, गरिमा सिंह, आयुशी तिवारी, सोमी श्री, दीपांशी और ऋषभ शर्मा ने अभिनय किया है। ‘हाय जिंदगी’ केवल कानूनी विसंगति पर ही बात नहीं करती, बल्कि यह जीवन के अर्थ और समाज में शांतिपूर्वक रहने के लिए नैतिक संदेश भी देती है। फिल्म का यह मुद्दा सीधे तौर पर न्यायिक सक्रियता के साथ जुड़ गया है, जिससे इसकी रिलीज़ से पहले ही यह चर्चा का विषय बन गई है।






