अलास्का मिलिट्री ड्रिल करेगी भारतीय सेना (फोटो- सोशल मीडिया)
India-US Joint Military Exercise: अमेरिकी प्रसाशन ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए है। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्ते तनाव पूर्ण चल रहा है। इसी बीत भारतीय सेना के जवान दो सप्ताह के लिए अमेरिकी सेना के साथ मिलकर अभ्यास कर रहे हैं। दोनों सेनाओं के बीच ये अभ्यास अमेरिका के अलास्का प्रांत में हो रहा है।
भारतीय रक्षा मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, भारतीय सेना की ओर से मद्रास रेजिमेंट की एक बटालियन इस अभ्यास में भाग लेगी। वहीं, अमेरिकी सेना की ओर से 11वीं एयरबोर्न डिवीजन की आर्कटिक वोल्व्स ब्रिगेड कॉम्बैट टीम की 5वीं इन्फैंट्री रेजिमेंट की पहली बटालियन के सैनिक इसमें शामिल होंगे।
यह अभ्यास दो सप्ताह तक चलेगा जिसमें सैनिक कई तरह के सामरिक अभ्यास करेंगे। इनमें हेलीकॉप्टर से जुड़े ऑपरेशन, निगरानी के लिए मानवरहित हवाई प्रणालियों (UAS) का उपयोग, रॉक क्राफ्ट, पर्वतीय युद्ध, घायल सैनिकों को निकालने का अभ्यास, और युद्ध चिकित्सा सहायता शामिल हैं। इसके अलावा, तोपखाने, विमानन और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का भी एक साथ उपयोग किया जाएगा। दोनों देशों के विशेषज्ञ UAS, काउंटर-यूएएस ऑपरेशन, सूचना युद्ध, संचार और लॉजिस्टिक्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी प्रशिक्षण देंगे।
इस अभ्यास का मकसद संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों के लिए दोनों देशों की क्षमताओं को बढ़ाना और बहु-क्षेत्रीय चुनौतियों के लिए तैयारी मजबूत करना है। अभ्यास का समापन लाइव-फायर अभ्यास और ऊँचाई वाले युद्ध के परिदृश्यों के साथ होगा। यह अभ्यास इस लिए भी खास है क्योंकि पिछले कुछ समय से दोनों देशों के बीच टैरिफ को लेकर तनाव चल रहा है।
द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास अमेरिकी पनडुब्बी सहायता जहाज यूएसएस फ्रैंक केबल के चेन्नई दौरे के कुछ ही दिनों बाद हो रहा है। इस दौरे के दौरान, भारतीय पनडुब्बी आईएनएस सिंधुविजय ने यूएसएस फ्रैंक केबल के साथ मिलकर काम किया, जिससे यह दिखाया जा सके कि अमेरिकी पनडुब्बी कैसे पूरे भारत-प्रशांत क्षेत्र में मित्र और सहयोगी पनडुब्बियों के रखरखाव और मरम्मत में मदद कर सकती है।
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यूएसएस फ्रैंक केबल अमेरिकी नौसेना के 7वें बेड़े का हिस्सा है, जो एक स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र को बनाए रखने के लिए काम करता है। टैरिफ विवाद के बावजूद नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच रणनीतिक संबंध मजबूत बने हुए हैं, क्योंकि दोनों देशों के बीच 10 साल के सैन्य सहयोग समझौते का जल्द ही नवीनीकरण होने की उम्मीद है।