तस्वीर में पीएम मोदी और वोलोदिमीर जेलेंस्की
कीव: रूस और यूक्रेन की दुश्मनी जगजाहिर है। पिछले ढाई साल से दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध जारी है। इस संघर्ष में कभी रूस पर भारी पड़ रहा है तो कभी यूक्रेन रूस पर। इस बीच जब 23 अगस्त को पीएम मोदी यूक्रेन दोरे पर पहुंचे तो यूक्रेन ने दुनिया को संदेश दिया। रूसी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने शुक्रवार को कहा कि भारत समेत दूनिया काे रूस से तेज खरीदना बंद कर देना चाहिए।
जेलेंस्की ने कहा कि अगर भारत समेत दुनिया के दूसरे देश रूस से रियायती दामों पर तेल खरीदना बंद कर दें तो उसके सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो जाएंगी। जिससे कि रूस पर बुरा असर पड़ सके।
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भारत रूस से खरीद रहा तेल
फरवरी 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद प्रतिबंध लगने के बावजूद भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जिसकी पश्चिमी देश आलोचना करते रहे हैं। भारत यूक्रेन युद्ध शुरू होने से पहले रूस से एक प्रतिशत से भी कम तेल आयात करता था, जो अब बढ़कर भारत के कुल तेल आयात का लगभग 40 प्रतिशत हो गया है।
यूक्रेन का रूस की अर्थव्यस्था पर प्रहार
भारत और रूस के बीच तेल के मामले में महत्वपूर्ण अनुबंधों की ओर इशारा करते हुए जेलेंस्की ने कहा कि पुतिन को अर्थव्यवस्था के बर्बाद होने का डर है, उनके पास तेल के अलावा कुछ नहीं है, उनकी मुख्य मुद्रा तेल है। उनके पास एक तरह की ऊर्जा-आधारित अर्थव्यवस्था है, और वे निर्यात-उन्मुख हैं। उन्होंने आगे कहा कि अगर भारत समेत दुनिया के दूसरे देश रूस से रियायती दामों पर तेल खरीदना बंद कर दें तो उसके सामने बड़ी चुनौतियां उत्पन्न हो जाएंगी।
भारत ने समझाया रूस से तेल की खरीद क्यों है जरूरी
जेलेंस्की के इस अपनी पर हुए एक सवाल के जवाब में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि रूस के साथ भारत के ऊर्जा व्यापार पर भी चर्चा हुई। उन्होंने ने कहा कि हां, चर्चा हुई। मैं विस्तार से नहीं कहूंगा, लेकिन संक्षेप में जरूर कहना चाहुंगा कि हमने यूक्रेनी पक्ष को समझाया कि ऊर्जा बाजार (Energy Trade) का मौजूदा हाल कैसा है। यहां तक कि आज कई ऊर्जा उत्पादकों पर प्रतिबंध लगा दिए गए हैं। जिससे बाजार की हालात संभावित रूप से बहुत मुश्किल हो गई है। यह केवल मजबूरी नहीं है, बल्कि जरूरी है।
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विदेश मंत्री आगे कहा कि मेरा मतलब है कि ये समग्र रूप से अंतर्राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के हित में है कि तेल की कीमतें उचित और स्थिर रहें। दरअसल, अगर भारत को महंगे तेल का आयात करना पड़ता है तो इससे ना केवल भारत की अर्थव्यवस्था प्रभावित होगी बल्कि दुनिया पर भी इसका बुरा प्रभाव पड़ेगा। क्योंकि भारत दुनिया की उभरती हुई अर्थव्यवस्था है।
अगर भारत यूरोप या अन्य खाड़ी देशों से तेल का आयात करता है तो वह रूस की तुलना में अधिक महंगा पड़ता है। उन्होंने आगे कहा कि हम अप्रत्यक्ष तौर पर कहें तो रूस-यूक्रेन युद्ध से भारत को तेल की कीमतें स्थिर रखने में सहायता मिली है।