
भारत के लिए बेहद महत्वपूर्ण पुतिन की यात्रा (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: अगर अमेरिका का रणनीतिक दबाव लगातार हम पर बढ़ता जा रहा है तो समय आ गया कि हम संतुलन साधने की जगह कोई स्पष्ट और रणनीतिक दिशा पकड़ने की कोशिश करें? इसमें कोई दो राय नहीं है कि पुतिन की यह यात्रा बहुत खास है। यह सबसे सही वक्त है कि भारत और रूस अपनी परंपरागत साझेदारियों को नया रूप और रणनीतिक आकार प्रदान करें। इसलिए भारत और रूस के बीच जो दशकों पुराना रक्षा, परमाणु, ऊर्जा, अंतरिक्ष और रणनीतिक साझेदारी का साझेदारी का ठोस सहयोग मौजूद है, अब उसे दोनों देश आज की जरूरत के हिसाब से रूप और आकार प्रदान करें।
भारत और रूस के बीच आज करीब 73 अरब डॉलर का वार्षिक व्यापार होता है, जो कुछ वर्ष पहले महज 13 से 15 अरब डॉलर सालाना था। इसमें बहुत बड़ा हिस्सा रूसी तेल और ऊर्जा के आयात का है। आज भारत दुनिया का एक बहुत बड़ा निर्यातक देश भी है। हमारे पास कृषि, फॉर्मा, मैन्यूफैक्चरिंग, टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य और बैंक तथा बीमा सेवाओं में महारत है। जिस तरह भारत बड़े पैमाने पर रूस से तेल, ऊर्जा और रक्षा खरीदारी करता है, उसी तरह रूस को भी चाहिए कि वह हमसे एंटीबायोटिक्स, कार्डियक दवाएं, वैक्सीन्स, हॉस्पिटल उपकरण, डायग्नोस्टिक दवाएं आदि बड़े पैमाने पर आयात करे। रूस पश्चिमी देशों से जो दवाएं और मेडिकल उपकरण आयात करता था, प्रतिबंध के कारण उन पर रोक लग गई है। ऐसे में उसे यह मौका भारत को देना चाहिए।
भारत की जिन चीजों में निर्यात की ताकत है, ज्यादातर उन चीजों में चीन भी मजबूत है। ऐसे में भारत को बहुत स्पष्ट और सावधानीपूर्वक पुतिन से साफ-साफ कहना चाहिए, हम केवल आयातक नहीं रहना चाहते, इसलिए आपको हमसे भी अपनी जरूरत की चीजें खरीदनी होगीं। हम जिस तरह से कृषि और फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में भी एक ताकत बनकर उभरे हैं, उसके चलते हमें रूस में चाय, कॉफी, मसाले, चावल, दालें, फलों के जूस, विशेषकर मैगो पल्प जो कि रूस में बहुत ज्यादा लोकप्रिय है और प्रोसेस्ड फूड जिसमें इंस्टेंट मील्स, रेडीमेड सॉस पर भी रूस के बाजार का एक जरूरी हिस्सा हासिल करना चाहिए, भारत ऑटो पार्ट और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में भी एक बड़ी ताकत बनकर उभरा है। हम रूस को बड़े पैमाने पर बैटरी, टायर, सस्पेंशन पार्ट्स, ट्रांसमिशन यूनिट और इंजन पार्ट बेंच सकते हैं।
रूस में छोटे वाहन यानी टू व्हीलर और श्री व्हीलर की काफी कमी है। इसलिए हमें ऐसे क्षेत्र में भी बाजार तलाशने की मजबूत कोशिश करना चाहिए। भारत विश्व व्यापार जगत में मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक और कंपोनेंट्स के क्षेत्र में भी एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरा है। इसलिए रूस में पश्चिमी स्मार्ट फोन और इलेक्ट्रॉनिक्स की सुविधा जो कम हुई है, उसका लाभ उठाकर भारत को स्मार्ट फोन, एलईडी टीवी, राउटर, इलेक्ट्रॉनिक चिप्स, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक के साथ-साथ आईटी सेवाएं और सॉफ्टवेयर के निर्यात में भी मौका तलाशने की कोशिश करनी चाहिए।
भारत के पास कोर बैंकिंग सिस्टम सपोर्ट है, क्लाउड मैनेजमेंट में महारत है, ई-कॉमर्स बैकएंड तथा पेमेंट टेक्नोलॉजी की विशेषज्ञता को भी सेवा निर्यात का बड़ा हिस्सा बनाना चाहिए और जहां तक हमारी प्रोफेशनल सेवाओं का सवाल है, तो उसमें तो हमारा कोई मुकाबला ही नहीं है। इस तरह पुतिन की भारत यात्रा, भारत और रूस दोनों के लिए शानदार अवसरों की दहलीज है, बस इसे लांघने की जरूरत है।
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रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमिर पुतिन दो दिवसीय भारत यात्रा पर पधारे हैं। ऐसे में मौजूदा विश्व की पेचीदगियां और अमेरिका के भारत पर टैरिफ दबाव को देखते हुए हमें पुतिन की भारत यात्रा को बहुत सावधानी से एक रणनीतिक विकल्प के रूप में देखना चाहिए और सोचना चाहिए कि आखिर दोनों देश इस दबाव और ब्लैकमेलिंग के दौर में कैसे एक-दूसरे के लिए ज्यादा से ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकते हैं।
लेख- लोकमित्र गौतम के द्वारा






