शहबाज शरीफ, फोटो - सोशल मीडिया
नवभारत डिजिटल डेस्क : भारत-पाकिस्तान के इस तनाव भरे माहौल में स्थिति यह बन चुकी है कि औपचारिक रूप से युद्ध की घोषणा कभी हो सकती है। दोनों देशों ने एक-दूसरे पर मिसाइल हमले किए हैं, ड्रोन वॉर चल रहा है और बॉर्डर पर लगातार गोलाबारी भी हो रही है।
ऐसे तनाव वाले माहौल में सबसे बड़ा डर यह है कि कहीं ये लड़ाई न्यूक्लियर जंग में न बदल जाए। इस बीच पाकिस्तान ने अपनी न्यूक्लियर हथियारों की कमान देखने वाली सबसे अहम संस्था की इमरजेंसी मीटिंग भी बुलाई है, तो ऐसे में आज के इस लेख में जानेंगे कि पाकिस्तान में न्यूक्लियर हथियारों का कंट्रोल किसके पास होता है।
दरअसल, 10 मई दिन शनिवार को पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ के साथ होने वाली इस बैठक पर पूरी दुनिया की नजर है, क्योंकि इसमें यह तय किया जा सकता है कि पाकिस्तान अपने परमाणु विकल्प को लेकर क्या रणनीति अपनाता है?
बता दें, पाकिस्तान में परमाणु हथियारों को नेशनल कमांड अथॉरिटी (NCA) द्वारा कंट्रोल किया जाता है। इसमें देश के शीर्ष सैन्य और नागरिक अधिकारी शामिल होते हैं। यह अथॉरिटी तय करती है कि परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कब और कैसे किया जाना चाहिए। NCA की स्थापना फरवरी 2000 में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद द्वारा की गई थी और इसका मुख्यालय इस्लामाबाद में स्थित है।
पाकिस्तान का कहना है कि उसने शनिवार सुबह मिसाइल डिपो समेत कई भारतीय ठिकानों पर हमला किया। भारत ने भी जवाबी कार्रवाई करते हुए कहा कि पाकिस्तान लगातार सीमा पर ड्रोन और गोले दाग रहा है। इस बढ़ते तनाव के बीच परमाणु हथियारों को लेकर तनाव बढ़ गया है, इसलिए यह हाई लेवल मीटिंग रखी गई है।
भारत ने कहा है कि पाकिस्तान की ओर से किए गए हमलों में जम्मू-कश्मीर में 5 नागरिकों की मौत हुई है। पाकिस्तान का दावा है कि भारत ने सबसे पहले उसके 3 एयरबेस पर मिसाइलों से हमला किया, लेकिन उनके एयर डिफेंस सिस्टम ने ज्यादातर मिसाइलों को रोक दिया। ध्यान देने वाली बात यह है कि पाकिस्तान ने अपने हमले को ‘ऑपरेशन बनयान उल मरसूस’ नाम दिया है।
दुनिया भर के विशेषज्ञों को डर है कि अगर ये तनाव युद्ध में बदलती है तो परमाणु हथियारों का इस्तेमाल हो सकता है। पाकिस्तान की नीति ‘फर्स्ट यूज डॉक्ट्रिन’ की है, यानी अगर उन्हें लगता है कि दुश्मन भारी नुकसान पहुंचा सकता है तो वो पहले परमाणु हथियारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। अमेरिका, ब्रिटेन और जी7 देशों ने दोनों देशों से संयम बरतने की अपील की है। वहीं अमेरिकी विदेश मंत्री ने पाकिस्तान के सेना प्रमुख से बात करके शांति की कोशिश करने की पेशकश की है।
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अभी स्थिति बहुत गंभीर बना हुआ है। दोनों देशों के बीच चल रहा संघर्ष पिछले 30 सालों में सबसे खतरनाक माना जा रहा है। परमाणु बैठक के बहाने पाकिस्तान बड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहा है, लेकिन दुनिया अब चाहती है कि ये लड़ाई और न बढ़े।