एयर डिफेंस सिस्टम, फोटो - सोशल मीडिया
नवभारत डिजिटल डेस्क : जब देश की सीमाओं पर तनाव जैसे माहौल हो, तब एक हमलावर मिसाइल या दुश्मन का लड़ाकू विमान सिर्फ कुछ मिनटों में ही कहर बरपा सकता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसे हमलों से हमारे आसमान की सुरक्षा कैसे होती है? इसका जवाब है, एयर डिफेंस सिस्टम, मतलब वायु रक्षा प्रणाली। यह तकनीक किसी देश के लिए उतनी ही जरूरी है, जितनी एक योद्धा के लिए उसकी ढाल।
ऐसे में आज के इस एक्सप्लेनर में हम जानेंगे कि एयर डिफेंस सिस्टम होता क्या है और ये काम कैसे करता है। इसके साथ हम यह यह भी समझेंगे कि भारत और पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम कितना ताकतवर है? तो इसके लिए पढ़ते जाइए इस एक्सप्लेनर को अंत तक।
एयर डिफेंस सिस्टम एक सैन्य तकनीकी ढांचा है, जो दुश्मन के विमानों, मिसाइलों, ड्रोन और अन्य हवाई हमलों से देश की हवाई सीमा की रक्षा करता है। यह सिस्टम रडार, सेंसर, मिसाइल और गन जैसे हाईटेक हथियारों का नेटवर्क होता है जो आसमान में आने वाले हर खतरे पर पैनी नजर रखता है और समय रहते उसे हवा में ही खत्म कर देता है।
एयर डिफेंस सिस्टम चार प्रमुख चरणों में काम करता है
भारत का एयर डिफेंस सिस्टम बहुस्तरीय और विविधतापूर्ण है। इसमें रूसी, इजराइली और स्वदेशी तकनीकों का बेहतरीन मिश्रण शामिल है।
सबसे प्रमुख सिस्टम है S-400 ट्रायम्फ
यह दुनिया की सबसे खतरनाक और अत्याधुनिक वायु रक्षा प्रणाली में से एक है। भारत ने इसे रूस से 5.43 अरब डॉलर में खरीदा है। यह सिस्टम 400 किलोमीटर की दूरी तक दुश्मन के विमान, ड्रोन या मिसाइल को हवा में ही मार गिराने की क्षमता रखता है। इसे भारतीय सेना सुदर्शन चक्र कहती है।
इसके अलावा भारत के पास बराक-8 (इजराइली तकनीक), आकाश मिसाइल सिस्टम (स्वदेशी), स्पाइडर और इग्ला मिसाइल सिस्टम जैसे शॉर्ट रेंज डिफेंस सिस्टम मौजूद हैं। इन सभी का मकसद आसमान से आने वाले खतरे को जमीन तक पहुंचने से पहले ही खत्म करना है।
जहां भारत ने एस-400 जैसी तकनीक हासिल कर ली है, वहीं पाकिस्तान का प्रमुख डिफेंस सिस्टम HQ-9 है, जो चीन से मिला है। इसकी मारक क्षमता 300 किमी तक मानी जाती है। पाकिस्तान ने फ्रांस से स्पाडा सिस्टम भी लिया है, लेकिन भारतीय वायु रक्षा प्रणाली की रेंज, प्रतिक्रिया समय और विविधता कहीं अधिक प्रभावशाली मानी जाती है।
तकनीक लगातार बदल रही है। हाइपरसोनिक मिसाइलें, स्वार्म ड्रोन जैसी नई चुनौतियों के चलते भविष्य के एयर डिफेंस सिस्टम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और लेजर हथियार को शामिल किया जा रहा है। AI सिस्टम खतरे की पहचान और प्रतिक्रिया को और तेज बनाने का काम करेगा, जबकि लेजर सिस्टम सस्ते और बेहद सटीक साबित होंगे।