
कंबोडिया में Vishnu Statue की मूर्ति खंडित भारत ने जताई कड़ी आपत्ति (सोर्स-सोशल मीडिया)
India Condemns Thai Action: कंबोडिया के सीमावर्ती इलाके में थाई सेना द्वारा भगवान विष्णु की एक भव्य प्रतिमा को ध्वस्त किए जाने की घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तनाव पैदा कर दिया है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में एक भारी मशीन के जरिए इस पवित्र मूर्ति को गिराते हुए देखा जा सकता है जिससे दुनिया भर के हिंदू समुदाय में भारी आक्रोश है।
भारत सरकार ने इस कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए इसे बेहद अपमानजनक और करोड़ों भक्तों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला कदम बताया है। नई दिल्ली ने दोनों पड़ोसी देशों से इस विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने और साझा सभ्यतागत विरासत का सम्मान करने की अपील की है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार 24 दिसंबर को इस दुखद घटना पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए भारत की चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत को थाई-कंबोडिया सीमा विवाद से प्रभावित क्षेत्र में एक हिंदू देवता की मूर्ति को ध्वस्त किए जाने की खबरें मिली हैं जो अत्यंत विचलित करने वाली हैं।
जायसवाल ने स्पष्ट किया कि इस क्षेत्र के लोग सदियों से हिंदू और बौद्ध देवी-देवताओं का बहुत सम्मान करते हैं और उनकी श्रद्धापूर्वक पूजा करते हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह हमारी साझा सांस्कृतिक और सभ्यतागत विरासत का एक अभिन्न हिस्सा है जिसे संजोकर रखा जाना चाहिए। भारत ने जोर देकर कहा कि इस तरह के अपमानजनक कृत्यों से दुनियाभर में मौजूद हिंदू भक्तों की भावनाओं को गहरी ठेस पहुंचती है और ऐसे कृत्य भविष्य में नहीं होने चाहिए।
समाचार एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट के अनुसार भगवान विष्णु की यह प्रतिमा कंबोडियाई क्षेत्र के आन सेस इलाके में स्थित थी जो प्रेह विहार प्रांत के अंतर्गत आता है। प्रेह विहार के प्रवक्ता लिम चानपन्हा ने जानकारी दी कि इस विष्णु प्रतिमा का निर्माण साल 2014 में किया गया था। यह पवित्र स्थल थाईलैंड की अंतरराष्ट्रीय सीमा से मात्र 100 मीटर यानी लगभग 328 फीट की दूरी पर स्थित था।
सोमवार 22 दिसंबर को थाई सेना की मौजूदगी में एक बैकहो लोडर का उपयोग करके इस मूर्ति को पूरी तरह जमीनदोज कर दिया गया। कंबोडियाई अधिकारियों ने इस कार्रवाई को पूरी तरह से अनैतिक और धार्मिक आस्था पर हमला करार दिया है। प्रशासन का कहना है कि वे हिंदू और बौद्ध अनुयायियों द्वारा पूजे जाने वाले प्राचीन मंदिरों और मूर्तियों के साथ की जाने वाली किसी भी तोड़फोड़ की कड़ी निंदा करते हैं।
यह दुखद घटना केवल एक धार्मिक प्रतिमा को नुकसान पहुंचाने का मामला नहीं है बल्कि यह थाईलैंड और कंबोडिया के बीच दशकों से चले आ रहे सीमा विवाद का एक नया और हिंसक मोड़ है। दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर खींचतान काफी पुरानी है और इस साल जुलाई में यहां फिर से सैन्य झड़पें शुरू हो गई थीं।
हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता के बाद दोनों पक्षों के बीच एक युद्धविराम पर सहमति बनी थी लेकिन दिसंबर के इस महीने में संघर्ष ने फिर से उग्र रूप ले लिया है। प्रेह विहार मंदिर का इलाका हमेशा से दोनों देशों के बीच प्रभुत्व की लड़ाई का केंद्र रहा है और इसी संघर्ष की बलि अब धार्मिक प्रतीक चढ़ रहे हैं। भारत ने दोनों देशों से अपील की है कि वे जानमाल के नुकसान को रोकने के लिए कूटनीति का सहारा लें।
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भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में इस बात पर विशेष बल दिया है कि दक्षिण-पूर्व एशिया की यह भूमि साझा सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ी हुई है। भगवान विष्णु की प्रतिमा को गिराना उन मूल्यों के खिलाफ है जो ये दोनों राष्ट्र सदियों से साझा करते आए हैं। सोशल मीडिया पर मूर्ति तोड़े जाने के वीडियो वायरल होने के बाद वैश्विक स्तर पर हिंदू संगठनों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया है।
भक्तों का मानना है कि सीमा विवाद का बहाना बनाकर किसी भी धर्म के आराध्य की मूर्ति को नष्ट करना मानवता और संस्कृति के खिलाफ अपराध है। भारत ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इस मुद्दे को उठाकर यह संदेश दे दिया है कि वह अपनी सभ्यतागत विरासत और धार्मिक हितों की रक्षा के लिए हमेशा आवाज उठाएगा।






