नेपाल में नए पीएम चुनने को लेकर तनाव (फोटो- सोशल मीडिया)
Nepali Gen Z protest: नेपाल में हाल ही में जेन ज़ी छात्रों ने सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन किए, जिसके चलते प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा। माना जा रहा था कि जल्द ही सेना की मदद से अंतरिम सरकार का गठन किया जाएगा। लेकिन अब खबर आ रही है कि नए प्रधानमंत्री को चुनने को लेकर जेन ज़ी गुटों में सहमति नहीं बन पा रही है और वे आपस में ही भिड़ गए हैं।
जानकारी के मुताबिक, दो जेन ज़ी गुटों के बीच नए प्रधानमंत्री चुने जाने को लेकर गुरुवार को लड़ाई हुई और जमकर लात-घूंसे चले। इनमें से एक गुट केपी शर्मा ओली के इस्तीफे के बाद नेपाल की पहली महिला पूर्व चीफ जस्टिस सुशीला कार्की को प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर रहा है। वहीं दूसरा गुट इसके खिलाफ है और वह कार्की की जगह काठमांडू के मेयर बालेन शाह या किसी नई सोच वाले नेता को प्रधानमंत्री पद पर देखना चाहता है।
सुशीला कार्की और बालेन शाह के अलावा गुरुवार को नेपाल में एक और नेता, कुलमान घीसिंग को प्रधानमंत्री बनाए जाने की चर्चा तेज हो गई है। माना जा रहा है कि सुशीला कार्की के नाम पर सहमति नहीं बनने के बाद जेन जी गुटों ने कुलमान घीसिंग के नाम को आगे बढ़ाया है। नेपाल में इंजीनियर कुलमान घीसिंग अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने की रेस में सबसे आगे आ गए हैं।
Clash between groups of Nepal GenZ over internal rift for leadership in front of Nepalese Army Headquarter.
Strange !
— War & Gore (@Goreunit) September 11, 2025
Gen Z समूह ने गुरुवार को इस संबंध में एक प्रेस रिलीज जारी की, जिसमें कहा गया, “संविधान के अनुसार, पूर्व मुख्य न्यायाधीश और न्यायाधीश इस पद के लिए पात्र नहीं होते। इसके अलावा, संबंधित व्यक्ति 70 वर्ष की आयु पार कर चुके हैं, इसलिए वे Gen Z की पीढ़ी का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम नहीं हैं। इन्हीं कारणों से उनका नाम अस्वीकार किया गया है।” हालांकि, कुलमान इस पद को स्वीकार करेंगे या नहीं, इस पर अब तक कोई स्पष्ट जानकारी सामने नहीं आई है।
यह भी पढ़ें: नेपाली मंत्रियों में डर का माहौल, हेलीकाप्टर से लटककर सपरिवार हुए फरार, सामने आया खौफनाक वीडियो
Gen Z समूह पहले काठमांडू के मेयर बालेन शाह को इस पद पर देखना चाहता था। लेकिन बालेन ने खुद प्रधानमंत्री बनने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसके बाद से अब तक कई नेताओं के नाम सामने आ चुके हैं, लेकिन किसी भी नाम पर अभी तक सहमति नहीं बन पाई है। वहीं कुछ लोग नेपाल में फिर से राजशाही लागू करने की बात कर रहे हैं।