पाक सेना ने फिर दी भारत को धमकी, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
हाल ही में पाकिस्तान ने अपने सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को देश के सर्वोच्च सैन्य पद फील्ड मार्शल के रूप में प्रमोशन किया है। यह रैंक हासिल करने वाले वह पाकिस्तान के केवल दूसरे सैन्य अधिकारी बने हैं। उनकी इस प्रमोशन के बाद, पाकिस्तानी सेना ने एक बार फिर भारत के खिलाफ तीखे बयान दिए हैं।
सेना की ओर से कहा गया है कि भारत खतरनाक खेल खेल रहा है और हालात बने तो युद्ध की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। पाकिस्तान के सैन्य जनसंपर्क विभाग (DGISPR) ने भी दो टूक कहा है कि यदि जरूरत पड़ी तो भारत से युद्ध के लिए पाकिस्तान पूरी तरह तैयार है।
पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने एक अहम निर्णय लेते हुए जनरल आसिम मुनीर को फील्ड मार्शल की उपाधि दे दी है। यह घोषणा खुद शहबाज सरकार की कैबिनेट ने की है। इस फैसले के बाद पाकिस्तान में हलचल मच गई है एक ओर लोगों में हैरानी है, तो दूसरी ओर डर का माहौल भी बना हुआ है। इमरान खान की पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI), इस फैसले का कड़ा विरोध कर रही है। पार्टी के समर्थकों का मानना है कि मुनीर के फील्ड मार्शल बनने के बाद इमरान खान का जेल से बाहर आना और भी मुश्किल हो जाएगा।
पाकिस्तान के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जनरल मुनीर ने यह पद इसलिए स्वीकार किया है ताकि वे सेना की शक्तिशाली कुर्सी को छोड़े बिना अपना प्रभाव बनाए रख सकें, क्योंकि फील्ड मार्शल का पद आजीवन होता है और इस पद पर कभी सेवानिवृत्ति नहीं होती।
आसिम मुनीर के कंधे पर अब एक और सितारा जुड़ गया है, जिससे उनकी वर्दी में कुल पांच सितारे हो गए हैं। लेकिन पाकिस्तान में इसको लेकर विरोध की आवाजें उठने लगी हैं। वकार मलिक ने तीखा तंज कसते हुए कहा है कि जनरल साहब ने खुद को ही फील्ड मार्शल बना लिया है। इससे पहले भी एक सैन्य शासक ने ऐसा ही किया था। जी हां, फील्ड मार्शल अयूब खान, जिनका ये कदम आज भी लोगों को याद है।
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इसके बाद कई तरह की बातें सामने आई हैं। कुछ लोगों ने कहा कि फील्ड मार्शल का ओहदा सिर्फ एक प्रतीकात्मक या सम्मानजनक पद है, जिसकी कोई वास्तविक सैन्य भूमिका या ऑपरेशनल महत्व नहीं होता। असल ताकत और जिम्मेदारी तो सेना प्रमुख यानी आर्मी चीफ के पास ही होती है।
नरल आसिम मुनीर का प्रमोशन आपसी सहमति के तहत किया गया है। जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान में फील्ड मार्शल के पद पर नियुक्त व्यक्ति को कोर्ट मार्शल की कार्यवाही से छूट प्राप्त होती है, अर्थात् उन्हें इस प्रक्रिया से बाहर रखा जाता है। इसी वजह से शहबाज शरीफ की सरकार ने जनरल आसिम मुनीर को एक प्रकार की कानूनी ढाल प्रदान कर दी है। इस प्रमोशन के पीछे एक बड़ा कारण यह भी है कि अगर भविष्य में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की नाकामी को लेकर कोई सरकार उनके खिलाफ कोर्ट मार्शल की प्रक्रिया शुरू करना चाहे तो यह संभव न हो सके।