
F-16 फाइटर जेट्स (सोर्स- सोशल मीडिया)
F-16 without Link 22: अमेरिका द्वारा पाकिस्तान को दिए गए F-16 लड़ाकू विमानों के हालिया रखरखाव पैकेज पर कई रणनीतिक सवाल खड़े हो गए हैं। इन जेट्स में वह अत्याधुनिक Link 22 डेटा लिंक टेक्नोलॉजी शामिल नहीं है, जिसके बिना इन्हें आधुनिक युद्ध में प्रभावी नहीं माना जा सकता। विशेषज्ञ इसे पाकिस्तान को दी गई ‘पुरानी तकनीक’ का सौदा मान रहे हैं, जिसका एकमात्र उद्देश्य केवल कोल्ड वॉर युग के इन विमानों को किसी तरह 2040 तक सेवा में बनाए रखना है, न कि उसकी वास्तविक वायुसेना क्षमता को बढ़ाना।
अमेरिका ने पाकिस्तान के F-16 फाइटर जेट्स के लिए 686 मिलियन डॉलर के पैकेज को मंजूरी दी है, लेकिन इसकी हकीकत कुछ और है। इस पैकेज में पाकिस्तान को एक भी नया F-16 विमान नहीं मिला है। न ही कोई लंबी दूरी का घातक हथियार, न उन्नत एयर-टू-एयर मिसाइल और न ही आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम। अमेरिका ने साफ किया है कि यह पैकेज केवल रखरखाव, मरम्मत और सुरक्षा से संबंधित सामान के लिए है। इसका सीधा मतलब है कि पाकिस्तान को नई ताकत नहीं, बल्कि पुराने जेट्स को घसीटकर उड़ाने की क्षमता भर मिली है।
आधुनिक युद्ध में डेटा और नेटवर्किंग सबसे महत्वपूर्ण हथियार हैं। Link 22 नाटो (NATO) का सबसे एडवांस डेटा लिंक सिस्टम है, जिसे ‘जैम-रेसिस्टेंट’ और ‘बियॉन्ड लाइन ऑफ साइट’ (BLOS) नेटवर्किंग क्षमता के लिए जाना जाता है। यह टेक्नोलॉजी राफेल, यूरोफाइटर टाइफून और F-35 जैसे दुनिया के सबसे बेहतरीन लड़ाकू विमानों तक ही सीमित है। यह अत्यधिक सुरक्षित और लंबी दूरी तक डेटा साझा करने में सक्षम है। इसे कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, ब्रिटेन और अमेरिका समेत सात प्रमुख देश मिलकर मैनेज करते हैं।
अमेरिका ने जानबूझकर पाकिस्तान को Link 22 देने से इनकार कर दिया है और इसके बदले पुरानी पीढ़ी का Link 16 दिया गया है। Link 16 को अब विशेषज्ञ सीमित क्षमता वाली टेक्नोलॉजी मानते हैं, जो जैमिंग और इलेक्ट्रॉनिक हमलों के सामने कमजोर पड़ सकती है। यह वाशिंगटन का एक सोचा-समझा कूटनीतिक फैसला है।
अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान के F-16 विमान सिर्फ आतंकवाद विरोधी मिशनों में अमेरिकी सेना और सेंटकॉम (CENTCOM) बलों के साथ तालमेल बिठा सकें, जिसके लिए Link 16 काफी है। लेकिन अमेरिका उसे वह अत्याधुनिक नेटवर्किंग क्षमता नहीं देना चाहता जो क्षेत्रीय सैन्य संतुलन बदल सके और भारत जैसे देशों के मुकाबले में उसे बड़ी छलांग लगाने में मदद करे।
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रणनीतिक हलकों में यह सौदा पाकिस्तान के लिए एक ‘कबाड़ का सौदा’ माना जा रहा है। Link 22 के बिना, पाकिस्तान के F-16 विमान भविष्य के हाई-टेक युद्धों में बेकार साबित हो सकते हैं, जहां चीन और रूस जैसे देश पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स के साथ एडवांस सेंसर फ्यूजन पर काम कर रहे हैं। अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि वह पाकिस्तान को सिर्फ पुरानी तकनीक देगा, ताकि क्षेत्रीय सैन्य संतुलन बना रहे और उसकी सबसे बेहतरीन तकनीक केवल नाटो सहयोगियों तक ही सीमित रहे।






