कॉन्सेप्ट फोटो (सोर्स- सोशल मीडिया)
Earth Cracking: पृथ्वी पर 7 महाद्वीप हैं। इनमें एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, अंटार्कटिका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं। लेकिन अब कहा जा रहा है कि जल्द ही एक नया महाद्वीप बन सकता है। हालांकि महाद्वीप का निर्माण कोई मानवीय क्रिया नहीं है, यह प्राकृतिक रूप से तब होता है जब किसी महाद्वीप का एक बड़ा हिस्सा उससे अलग हो जाता है।
दुनिया भर में कई जगहों पर दरारें दिखाई दे रही हैं जो नए महाद्वीपों के निर्माण की ओर इशारा कर रही हैं। पृथ्वी की सतह लगातार बदल रही है और कई जगहों पर दरारें भी दिखाई दे रही हैं। इनमें सबसे प्रसिद्ध अफ्रीका का पूर्वी भाग है। अफ्रीका की भूमि में दरारें केन्या, इथियोपिया, तंजानिया और युगांडा तक फैली हुई हैं।
बताया जा रहा है कि इस जगह की ज़मीन हर साल लगभग 7 किलोमीटर खिसक रही है। इसे लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर ज़मीन इसी तरह खिसकती रही, तो अफ्रीका दो हिस्सों में बंट जाएगा और फिर एक और महाद्वीप बन सकता है। दूसरे नंबर पर अमेरिका आता है, जो पहले से ही दो महाद्वीपों में बंटा हुआ है।
दावा किया जा रहा है कि अमेरिका के एरिजोना और मेक्सिको के कुछ हिस्सों में दरारें गहरी हो रही हैं। इसका मुख्य कारण भूजल का अत्यधिक दोहन बताया जा रहा है। इसके अलावा, तुर्की, ईरान और भारत भी इस सूची में शामिल हैं। तुर्की और ईरान भूकंप के उच्च जोखिम वाले देश हैं। यहां भी कुछ जगहों पर दरारें देखी जा रही हैं।
वहीं, कुछ भूवैज्ञानिकों का मानना है कि भारत को लेकर भी यहां दरारें दिखाई दे रही हैं। दावा किया जाता है कि अलग-अलग मोटाई और संरचना के कारण भारतीय प्लेट में कई बार दरारें आ चुकी हैं। भूटान के पास दरारों के प्रमाण मिले हैं। वहीं, अगर किसी नए महाद्वीप के निर्माण की बात करें, तो इसका सबसे बड़ा खतरा अफ्रीका को लेकर है।
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भूवैज्ञानिकों के अनुसार, पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट घाटी वह स्थान है जहां एक अलग महाद्वीप के बनने की संभावना सबसे ज़्यादा है। हालांकि, यह कार्य कुछ वर्षों में नहीं होता, बल्कि एक नए महाद्वीप के बनने में लाखों वर्ष लगते हैं। अभी जो दरारें दिखाई दे रही हैं, वे इस बदलाव की एक शुरुआती झलक मात्र हैं।