डोनाल्ड ट्रंप, असीम मुनीर व नरेंद्र मोदी (डिजाइन फोटो)
वॉशिंगटन: हर कोई जानता है कि अमेरिका में मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। हर कोई यह भी जानता है कि अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए पाकिस्तान जैसे देश के सेना प्रमुख को लंच मीटिंग के लिए आमंत्रित करना तर्कों की समझ से परे है। असीम मुनीर बेशक पाकिस्तान के वास्तविक शासक और अघोषित सैन्य तानाशाह हैं।
इस्लामाबाद में बैठे ‘लोकतांत्रिक’ कठपुतली प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ केवल सेना द्वारा लिए गए फैसलों पर मुहर लगाने के लिए ही मौजूद है। लोकतंत्र, मानवाधिकार और उदार राजनीतिक मूल्यों पर अपने सभी आडंबरों के बावजूद अमेरिकियों को सबसे बुरे सैन्य तानाशाहों और सामूहिक हत्यारों का मनोरंजन करने, उनकी प्रशंसा करने और उनका स्वागत करने में कोई संकोच नहीं है, जब तक कि वह अमेरिका के आदेश का पालन करने के लिए तैयार है।
लाख टके का सवाल यह है कि ट्रंप पाकिस्तान के जनरल से क्या चाहते हैं और बदले में उन्हें क्या दिया जा रहा है। आखिरकार लेन-देन करने वाले ट्रंप मुनीर जैसे इस्लामिस्ट कट्टरपंथी को खुश करने में समय बर्बाद नहीं करेंगे, जब तक कि वह उससे कुछ महत्वपूर्ण न चाहे।
बदले में ट्रंप ने पाकिस्तान को वित्तीय सहायता समेत अमेरिकी रक्षा प्रौद्योगिकी तक अभूतपूर्व पहुंच का वादा किया है, जिसमें 5वीं पीढ़ी के स्टील्थ जेट और उन्नत मिसाइल सिस्टम शामिल हैं। इस प्रस्ताव को पाकिस्तान की चीनी सैन्य सहायता पर बढ़ती निर्भरता के जवाब के रूप में देखा जाता है। खासकर जब पाकिस्तान इस साल के अंत में चीनी जे-35A लड़ाकू विमानों और वायु रक्षा प्रणालियों को प्राप्त करने की तैयारी कर रहा है।
बातचीत के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप का एक महत्वपूर्ण संदेश स्पष्ट था- चीन और रूस से दूर रहें। ट्रंप ने कथित तौर पर मुनीर से कहा कि वे ब्रिक्स सहित पूर्वी ब्लॉकों से पाकिस्तान को दूर रखें और इसके बजाय अमेरिका के नेतृत्व वाले सुरक्षा ढांचे में फिर से शामिल हों। ट्रंप ने पाकिस्तान को चीन-रूस संबंधों में आगे बढ़ने से रोकने की वॉशिंगटन की इच्छा को रेखांकित किया।
हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुए टकराव में ट्रंप प्रशासन की संदिग्ध भूमिका ने भारत की नाराजगी बढ़ा दी है और विश्वासघात का कड़वा स्वाद चखा है। यदि अमेरिका, पाकिस्तान को अपने नियंत्रण में लाने की चाहत में भारत को दबाव में लाने का प्रयास करता है, तो भारत की ओर से निश्चित रूप से प्रतिरोध किया जाएगा चाहे वह कश्मीर हो, सिंधु जल संधि हो या कोई अन्य द्विपक्षीय मुद्दा हो।
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इसी तरह अगर ट्रंप ने पाकिस्तान को खुश करने के लिए भारत को धोखा दिया है, तो वह इसे सार्वजनिक रूप से घोषित नहीं करना चाहेंगे, लेकिन अगले कुछ दिनों और हफ्तों में जमीनी स्तर पर होने वाली कार्रवाइयों से पता चल जाएगा कि मुनीर और ट्रंप के बीच क्या सौदेबाजी हुई थी।