भारत के पड़ोस में क्यों बिगड़ते जा रहे हालात, फोटो (सो. आईएएनएस)
Pakistan News In Hindi: भारत के दो पड़ोसी देशों बांग्लादेश और पाकिस्तान में आम जनता के लिए हालात लगातार चुनौतीपूर्ण बने हुए हैं। बांग्लादेश में जारी हिंसा को लेकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय पहले ही चिंता जता चुका है, वहीं अब पाकिस्तान के अशांत प्रांत बलूचिस्तान से भी हालात बेहद गंभीर होने की खबरें सामने आ रही हैं।
पाकिस्तानी सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2025 के दौरान बलूचिस्तान में कई बड़े हमले, बम धमाके और हथियारबंद घटनाएं हुईं। इन हिंसक घटनाओं में कम से कम 248 आम नागरिकों और 205 सुरक्षाकर्मियों की मौत दर्ज की गई है। हालांकि, कुछ स्वतंत्र रिपोर्ट्स में आम लोगों की मौत का आंकड़ा 284 तक बताया गया है, जिससे सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
स्थानीय मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 2025 में बलूचिस्तान में कुल 432 हथियारबंद घटनाएं दर्ज की गईं। इन घटनाओं के चलते पूरे प्रांत में डर, असुरक्षा और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है। आम लोगों का आरोप है कि हालात बिगड़ने के लिए पाकिस्तानी सेना की नीतियां भी जिम्मेदार हैं।
‘द बलूचिस्तान पोस्ट’ ने आधिकारिक आंकड़ों के हवाले से बताया कि इस साल हिंसा के कारण सैकड़ों परिवार प्रभावित हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में क्वेटा, मस्तुंग, खुजदार, तुर्बत और नोकुंडी जैसे इलाकों में छह बड़े सुसाइड बॉम्बिंग हमले हुए, जिनमें बड़ी संख्या में जान-माल का नुकसान हुआ।
रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि 11 मार्च को एक सैन्य समूह ने बोलान इलाके में जाफर एक्सप्रेस पर हमला कर उसे हाईजैक कर लिया था। इससे पहले 18 फरवरी को बरखान में हुई हिंसा में सात लोगों की मौत हो गई थी। जुलाई महीने में झोब और कलात के पास पैसेंजर कोच को निशाना बनाकर गोलीबारी की घटनाएं भी सामने आईं।
इसके अलावा, 15 मई को खुजदार में एक बस पर हुए हमले में छह लोगों की मौत हो गई और 43 लोग घायल हुए। वहीं, 30 सितंबर को क्वेटा में पाकिस्तान के फ्रंटियर कॉर्प्स मुख्यालय पर हुए आत्मघाती हमले में 12 लोगों की जान चली गई।
अधिकारियों ने 2025 को बलूचिस्तान में शांति और स्थिरता के लिहाज से एक निराशाजनक वर्ष बताया है। अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठनों ने भी हालात पर चिंता जताई है। आम नागरिकों का कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह नाकाम रही है और सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
यह भी पढ़ें:- नेपाल में जेन-जी आंदोलन की जांच तेज, पूर्व गृह मंत्री तलब; केपी ओली पर भी लटकी पूछताछ की तलवार
हालांकि, स्थानीय समुदाय और सिविल सोसाइटी संगठनों का दावा है कि वास्तविक आंकड़े सरकारी रिपोर्ट्स से कहीं ज्यादा हो सकते हैं। उनका आरोप है कि कई घटनाओं की रिपोर्टिंग नहीं की जाती और सुरक्षाबलों के हताहतों की संख्या को भी कम करके दिखाया जाता है। पिछले कुछ समय में बलूचिस्तान से पाकिस्तानी सेना पर जबरन गायब करने, न्यायेतर हत्याओं और गैर-कानूनी हिरासत जैसे गंभीर आरोप भी सामने आए हैं, जिसने हालात को और संवेदनशील बना दिया है।