अबुल सरकार की रिहाई मांगने उतरे छात्रों पर बर्बर हमला, फोटो (सो. आईएएनएस)
Bangladesh News Hindi: बांग्लादेश में हालात लगातार तनावपूर्ण होते जा रहे हैं। राजनीतिक प्रदर्शन, सांप्रदायिक झड़पें और हिंसा की घटनाओं ने पूरे देश का माहौल अस्थिर बना दिया है। इसी बीच बाउल कलाकार अबुल सरकार की रिहाई की मांग को लेकर खुलना और ढाका में बड़े पैमाने पर छात्र संगठनों के विरोध प्रदर्शन देखने को मिले।
बुधवार शाम खुलना शहर के शिबारी चौराहे पर डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स अलायंस के सदस्यों ने अबुल सरकार की गिरफ्तारी के विरोध में मानव श्रृंखला बनाकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन शुरू किया। यह प्रदर्शन देशभर में बाउल कलाकारों पर हो रहे कथित हमलों, मंदिरों में तोड़फोड़ और सांप्रदायिक हिंसा की निंदा करने वाले राष्ट्रीय कार्यक्रम का हिस्सा था।
लेकिन प्रदर्शन के कुछ देर बाद ही स्थिति बिगड़ गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, ‘स्टूडेंट्स-पीपुल’ के बैनर तले आए एक अन्य समूह ने प्रदर्शनकारियों पर धर्म का अपमान करने का आरोप लगाया और अचानक हमला कर दिया। हमलावरों ने प्रदर्शनकारियों के बैनर छीनकर आग लगा दी, जिसमें कई छात्र घायल हो गए।
खुलना मेट्रोपॉलिटन पुलिस के सोनाडांगा मॉडल थाने के ओसी कबीर हुसैन ने हमले की पुष्टि की। उनके मुताबिक, “डेमोक्रेटिक वामपंथी छात्रों की मानव श्रृंखला पर छात्र और आम जनता में शामिल एक समूह ने हमला किया।”
हालांकि डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स अलायंस का दावा इससे उलट है। संगठन के जिला जनरल सेक्रेटरी सजीब खान ने कहा कि हमला योजनाबद्ध था और इसमें यूनाइटेड पीपल्स बांग्लादेश (UPB) और इस्लामी छात्र शिबिर के सदस्य शामिल थे। उन्होंने कहा कि हम दोपहर 3 बजे से प्रदर्शन कर रहे थे। पुलिस मौजूद होने के बावजूद शाम 5 बजे हम पर हमला किया गया।
इस घटना के बाद विरोध की लपटें ढाका तक पहुंच गईं। ढाका यूनिवर्सिटी के वामपंथी छात्र संगठनों ने खुलना हमले और देशभर में बाउल समुदाय पर हाल के हमलों के खिलाफ एक टॉर्च जुलूस निकाला। प्रदर्शनकारियों ने नारे लगाए “अबुल सरकार मेरा भाई है, उसकी रिहाई चाहिए”, “सांप्रदायिक आतंकवादियों ने हमला किया”, “लालोन साईं की धरती पर कट्टरपंथ नहीं चलेगा।”
ढाका यूनिवर्सिटी इकाई के प्रेसिडेंट मेघमल्लर बसु ने आरोप लगाया कि खुलना हमले में छात्र शिबिर, यूपीबी और नेशनल सिटिजन पार्टी के लोग शामिल थे। उन्होंने कहा कि देश में लोकतांत्रिक स्पेस लगातार सिकुड़ता जा रहा है और लोकतांत्रिक ताकतों को अपनी बात कहने की भी आजादी मुश्किल हो गई है।
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उधर, मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान अल्पसंख्यकों, कलाकारों, सांस्कृतिक संस्थानों और धार्मिक स्थलों पर हमले बढ़ रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता गहराई है।