बांग्लादेश के वित्त सलाहकार डॉ. सालेहुद्दीन अहमद, फोटो (सो. IANS)
Bangladesh Secretariat Protest: बांग्लादेश में बुधवार दोपहर उस समय प्रशासनिक हलचल मच गई जब विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के कर्मचारियों ने वित्त सलाहकार डॉ. सालेहुद्दीन अहमद को उनके कार्यालय में ही बंधक बना लिया। कर्मचारियों का आरोप है कि सरकार उनकी लगातार उठाई जा रही मांगों को नजरअंदाज कर रही है, जिसके विरोध में उन्हें यह कदम उठाना पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक, सचिवालय की चौथी मंजिल पर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने सलाहकार के कार्यालय के बाहर नाकाबंदी कर दी। कर्मचारियों की मुख्य मांग है कि सभी सरकारी स्टाफ को 20 प्रतिशत विशेष भत्ता दिया जाए। यह विरोध ऐसे समय में हुआ है जब अंतरिम सरकार के गठन के बाद कर्मचारियों में असंतोष तेजी से बढ़ रहा है। घटना की जानकारी स्थानीय मीडिया आउटलेट ढाका ट्रिब्यून ने अपनी रिपोर्ट में दी।
प्रदर्शन का नेतृत्व बांग्लादेश सचिवालय अधिकारी एवं कर्मचारी संयुक्त परिषद के एक धड़े के अध्यक्ष बदीउल कबीर ने किया। उन्होंने मीडिया से कहा कि वे तब तक पीछे नहीं हटेंगे जब तक सरकार उनकी मांगों को स्वीकार करते हुए गजट अधिसूचना जारी नहीं करती। परिषद के महासचिव निजाम उद्दीन अहमद ने भी वित्त सलाहकार को ज्ञापन सौंपकर मांगों पर तत्काल कार्रवाई की अपील की।
कर्मचारी परिषद ने इससे पहले 3 दिसंबर को चेतावनी दी थी कि यदि दिसंबर के अंत तक पे कमीशन से जुड़ी अधिसूचना जारी नहीं हुई तो 10 जनवरी से देशव्यापी कड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। बीडी न्यूज 24 की रिपोर्ट के अनुसार, परिषद के प्रधान सचिव निजामुद्दीन अहमद द्वारा दिए गए ज्ञापन में भी स्पष्ट रूप से चेतावनी दी गई थी कि कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति महंगाई के चलते बिगड़ती जा रही है और भत्तों में बढ़ोतरी अब जरूरी हो गई है।
ज्ञापन में कहा गया कि सरकारी कर्मचारियों को अंतरिम सरकार द्वारा बनाए गए नेशनल पे कमीशन-2025 से काफी उम्मीदें थीं, लेकिन अब तक कोई भी ठोस निर्णय सामने नहीं आया। फरवरी 2025 में हुई बैठक में भी इन मुद्दों को उठाया गया था, लेकिन कर्मचारियों के अनुसार सरकार की ओर से कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की गई।
बांग्लादेश में लगभग 15 लाख सरकारी कर्मचारी कार्यरत हैं। 9-10 प्रतिशत मुद्रास्फीति के कारण कर्मचारियों का मानना है कि भत्ता और पे स्केल में संशोधन न होने से उनकी आर्थिक स्थिति लगातार प्रभावित हो रही है। इसके साथ ही, सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार और उत्पीड़न से जुड़ी शिकायतों के माहौल में यह घटना और भी गंभीर मानी जा रही है, क्योंकि वित्त सलाहकार पहले ही इन मुद्दों पर चिंता व्यक्त कर चुके हैं।
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कर्मचारी संगठनों की तीन प्रमुख मांगें हैं 9वां पे स्केल लागू करना, सचिवालय भत्ता लागू करना, और सचिवालय राशन भत्ता शुरू करना। कर्मचारियों का कहना है कि जब तक इन मांगों पर सरकार ठोस कदम नहीं उठाती, उनका आंदोलन जारी रहेगा।