
विदेश मंत्रालय में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा
ढाका: बांग्लादेश ने भारतीय उच्चायुक्त को रविवार को तलब किया। इसके बाद विदेश सचिव मोहम्मद जशीम उद्दीन ने विदेश मंत्रालय में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा के साथ बैठक की। इस दौरान हाल के सीमा तनाव को लेकर बांग्लादेश की ओर से गहरी चिंता व्यक्त की। सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस ने पहले अपनी खबर में बताया था कि वर्मा को विदेश मंत्रालय ने सीमा पर बढ़ते तनाव पर चर्चा करने के लिए तलब किया था।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस वक्तव्य में हालांकि इस शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया। विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि विदेश सचिव राजदूत मोहम्मद जशीम उद्दीन ने आज विदेश मंत्रालय स्थित अपने कार्यालय में भारत के उच्चायुक्त प्रणय वर्मा के समक्ष बांग्लादेश-भारत सीमा पर भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) की हाल की गतिविधियों को लेकर बांग्लादेश सरकार की ओर से गहरी चिंता जताई। बीएसएस की खबर के अनुसार वर्मा स्थानीय समयानुसार दोपहर लगभग तीन बजे विदेश मंत्रालय पहुंचे।
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विदेश सचिव के साथ उनकी मुलाकात लगभग 45 मिनट तक चली। वर्मा ने बैठक के बाद मीडिया से कहा कि मैंने विदेश सचिव से मुलाकात कर अपराध मुक्त सीमा सुनिश्चित करने तस्करी अपराधियों की आवाजाही और मानव तस्करी की चुनौतियों से प्रभावी तरीके से निपटने संबंधी भारत की प्रतिबद्धता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि सुरक्षा के लिए सीमा पर बाड़ लगाने के संबंध में हमारे बीच आपसी सहमति है।
इस संबंध में बीएसएफ और बीजीबी सीमा सुरक्षा बल और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के बीच बातचीत जारी है। हम उम्मीद करते हैं कि आपसी सहमति को लागू किया जायेगा और अपराध से निपटने के लिए सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जायेगा। यह घटनाक्रम बांग्लादेश द्वारा यह आरोप लगाए जाने के कुछ घंटों बाद सामने आया है कि भारत द्विपक्षीय समझौते का उल्लंघन करते हुए भारत-बांग्लादेश सीमा पर पांच स्थानों पर बाड़ लगाने की कोशिश कर रहा है।
बयान के अनुसार विदेश सचिव ने ‘‘इस बात पर जोर दिया कि ऐसी गतिविधियों, विशेषकर कांटेदार तार की बाड़ लगाने के अनधिकृत प्रयास और बीएसएफ द्वारा संबंधित परिचालन कार्रवाइयों के कारण सीमा पर तनाव और अशांति पैदा हुई है। इसमें कहा गया है कि उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि उचित अनुमति के बिना कांटेदार तार की बाड़ का निर्माण दोनों पड़ोसी देशों के बीच सहयोग और मैत्रीपूर्ण संबंधों की भावना को कमतर करता है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी बीजीबी-बीएसएफ महानिदेशक स्तर की वार्ता में इस मामले पर विस्तार से चर्चा हो सकेगी।
बयान के अनुसार हाल में सुनामगंज में बीएसएफ की कथित कार्रवाई में एक बांग्लादेशी नागरिक के मारे जाने का उल्लेख करते हुए विदेश सचिव ने सीमा पर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति पर गहरी चिंता और निराशा व्यक्त की। इसके अनुसार उन्होंने हत्या की इन घटनाओं को लेकर कड़ी नाराजगी जताई और भारतीय अधिकारियों से ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए तत्काल कदम उठाने और जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने का आह्वान किया।
जशीम उद्दीन ने भारत सरकार से आग्रह किया कि वह भारत में सभी संबंधित अधिकारियों को सलाह दे कि वे किसी भी भड़काऊ कार्रवाई से बचें, क्योंकि इससे साझा सीमा पर तनाव बढ़ सकता है। बयान के अनुसार उन्होंने यह भी कहा कि बांग्लादेश का मानना है कि ऐसे मुद्दों को रचनात्मक बातचीत के जरिए मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों के अनुसार और इस तरह से सुलझाया जाना चाहिए जिससे सीमा पर शांति और सौहार्द कायम रहे।
इससे पहले दिन में गृह मामलों के सलाहकार रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल जहांगीर आलम चौधरी ने कहा था कि भारत ने बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश और स्थानीय लोगों के कड़े विरोध के कारण सीमा पर कांटेदार तार की बाड़ लगाने का काम रोक दिया है। चौधरी ने प्रेस वार्ता में कहा कि पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान हस्ताक्षरित कुछ समझौतों के कारण बांग्लादेश-भारत सीमा पर कई मुद्दे पैदा हो गए हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि हमारे लोगों और बीजीबी के प्रयासों ने भारत को कांटेदार तार की बाड़ लगाने समेत कुछ गतिविधियों को रोकने के लिए मजबूर होना पड़ा।
चौधरी ने कहा कि बांग्लादेश और भारत के बीच सीमा गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए चार समझौता ज्ञापन (MOU) हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से 1975 के एमओयू में यह स्पष्ट किया गया है कि रक्षा क्षमता वाला कोई भी विकास कार्य ‘जीरो लाइन’ के 150 गज के भीतर नहीं किया जा सकता। दूसरे एमओयू में कहा गया है कि आपसी सहमति के बिना इस सीमा के भीतर कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा सकता। ऐसे किसी भी कार्य के लिए दोनों देशों के बीच पूर्व सहमति की आवश्यकता होती है।
सलाहकार ने कहा कि भारत ने बांग्लादेश के साथ 4,156 किलोमीटर लंबी सीमा में से 3,271 किलोमीटर पर पहले ही बाड़ लगा दी है और लगभग 885 किलोमीटर सीमा बिना बाड़ के रह गई है। उन्होंने अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के नेतृत्व वाली पिछली सरकार पर भारत को अनुचित अवसर प्रदान करने का आरोप लगाया, जिसके कारण 2010 से 2023 के बीच 160 स्थानों पर कांटेदार तार की बाड़ लगाने को लेकर विवाद हुआ।
उन्होंने कहा कि हाल में पांच क्षेत्रों में विवाद सामने आए हैं, जिनमें चपैनवाबगंज, नौगांव, लालमोनिरहाट और तीन बीघा कॉरिडोर शामिल हैं। उन्होंने दावा किया कि 1974 के समझौते के तहत बांग्लादेश ने संसदीय अनुमोदन के बाद बेरुबारी को भारत को सौंप दिया था। उन्होंने कहा कि इसके बदले में भारत को बांग्लादेश को तीन बीघा कॉरिडोर तक पहुंच प्रदान करनी थी, लेकिन वह इस प्रतिबद्धता को पूरा करने में विफल रहा।
उन्होंने कहा कि वे एक घंटे के लिए इस गलियारे को खोलते थे और फिर एक घंटे के लिए बंद कर देते थे। आखिरकार 2010 में गलियारा 24 घंटे खुला रखने के लिए समझौता हुआ। हालांकि, इस समझौते के तहत भारत को 150 गज के नियम का उल्लंघन करते हुए अंगारपोटा में ‘जीरो लाइन’ पर सीमा बाड़ लगाने की भी अनुमति दी गई। उन्होंने कहा कि अब जबकि हम इस निर्माण का विरोध कर रहे हैं, हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। क्योंकि बांग्लादेश 2010 के समझौते पर हस्ताक्षरकर्ता है। (इनपुट एजेंसी के साथ)






