मोहम्मद यूनुस, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
ढाका: बांग्लादेश में चुनावी तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है और इसी के साथ कार्यवाहक सरकार के नेतृत्व को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। मौजूदा हालात में यह सवाल उठ रहा है कि क्या मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस अब अपने पद से हट सकते हैं? सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि ऐसा संभव है, हालांकि अब तक सरकार की तरफ से उन्हें हटाने या किसी नए व्यक्ति को नियुक्त करने को लेकर कोई आधिकारिक ऐलान नहीं किया गया है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक बांग्लादेश में चुनाव के दौरान किसी भी राजनीतिक दल को सत्ता में नहीं रहने दिया जाता, जिससे पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष और पारदर्शी बनी रहे। इसी उद्देश्य से एक कार्यवाहक सरकार का गठन किया जाता है, जो चुनाव की पूरी निगरानी करती है।
पिछले कुछ वर्षों से इस परंपरा का पालन नहीं किया जा रहा है। खासतौर पर प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन में इस प्रक्रिया को नजरअंदाज किया गया है, और चुनाव उन्हीं के नेतृत्व में कराए गए हैं। चुनाव प्रक्रिया के चलते रहने के बावजूद अवामी लीग सत्ता में बनी रही, जिससे उसकी निष्पक्षता पर संदेह पैदा हुआ। विपक्षी दलों ने भी चुनाव की पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठाए थे।
अब जब कार्यवाहक सरकार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अगले साल के भीतर आम चुनाव कराए जाएंगे, तो अब सभी की नजर इस बात पर टिक गई है कि चुनावी प्रक्रिया की कमान किसे सौंपी जाएगी। मुख्य सलाहकार की नियुक्ति को लेकर राजनीतिक गलियारों में जोरदार चर्चा चल रही है, खासकर बीएनपी, जमात-ए-इस्लामी और एनसीपी जैसे विपक्षी दलों के बीच। इन दलों ने सरकार को दो वैकल्पिक प्रस्ताव भी सौंपे हैं, जिनमें उन्होंने नए मुख्य सलाहकार की नियुक्ति की मांग रखी है।
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इसी दौरान, कार्यवाहक सरकार के प्रमुख सलाहकार के प्रेस सचिव शफीकुल आलम ने हाल ही में जानकारी दी कि दिसंबर 2025 तक चुनाव संबंधी सभी प्रशासनिक और सुरक्षा तैयारियां पूरी कर ली जाएंगी। उन्होंने बताया कि 17,000 नए सुरक्षाकर्मियों की भर्ती की जा रही है और चुनाव प्रक्रिया को निष्पक्ष व पारदर्शी बनाने के लिए सेना की भी तैनाती की जाएगी।
हालांकि, कुछ क्षेत्रों से यह आरोप सामने आए हैं कि स्थानीय पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी प्रभावशाली राजनेताओं के दबाव में काम कर रहे हैं। इस स्थिति को देखते हुए प्रशासन ने फैसला किया है कि चुनाव से पहले सुरक्षाकर्मियों और अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा, ताकि उनकी निष्पक्षता बनी रहे और चुनाव प्रक्रिया पर किसी तरह का संदेह न रहे।