बांग्लादेश में नामांकन मंजूर होते ही मिलेगा हथियार, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
World News In Hindi: बांग्लादेश में 2026 में होने वाले संसदीय चुनाव से पहले अंतरिम सरकार का एक बड़ा और विवादित फैसला देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। सरकार ने चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और तथाकथित राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण व्यक्तियों को हथियार लाइसेंस और गनमैन उपलब्ध कराने की विशेष नीति जारी की है।
जहां सरकार इसे सुरक्षा से जुड़ा आवश्यक कदम बता रही है, वहीं विपक्षी दल, चुनाव विश्लेषक और मानवाधिकार संगठन इसे चुनावी हिंसा को बढ़ावा देने वाला फैसला करार दे रहे हैं।
गृह मंत्रालय द्वारा जारी इस विशेष नीति के तहत दो श्रेणियों के लोगों को हथियार लाइसेंस के लिए आवेदन करने की अनुमति दी गई है। पहली श्रेणी में वे लोग शामिल हैं, जिन्हें सरकार ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण घोषित किया है। दूसरी श्रेणी में वे उम्मीदवार हैं, जिनके नामांकन पत्र 13वें संसदीय चुनाव के लिए स्वीकार कर लिए गए हैं।
गृह मामलों के सलाहकार लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) एमडी जहांगीर आलम चौधरी ने स्पष्ट किया है कि चुनाव में हिस्सा ले रहे उम्मीदवारों को हथियार रखने की अनुमति दी जाएगी। इसके अलावा, जिन उम्मीदवारों के हथियार पहले सरकारी हिफाजत में जमा थे उन्हें भी वापस लौटाया जाएगा।
यह फैसला ऐसे समय में आया है जब बांग्लादेश की कानून-व्यवस्था पहले से ही नाजुक मानी जा रही है। 2024 के छात्र आंदोलन के बाद अवामी लीग सरकार के पतन से प्रशासनिक अस्थिरता बढ़ी है। पुलिस व्यवस्था कमजोर बताई जा रही है और कई इलाकों में संभावित उम्मीदवारों के समर्थकों के बीच हिंसक झड़पें सामने आ चुकी हैं।
स्थिति को और गंभीर बनाता है पिछले डेढ़ साल में लूटे गए हथियारों की बरामदगी न होना जिससे आम नागरिकों में डर का माहौल है। इस पूरे मामले पर चुनाव आयोग (EC) ने भी नाराजगी जताई है और कहा है कि इस नीति पर उससे कोई पूर्व परामर्श नहीं लिया गया।
सरकार का तर्क है कि मौजूदा हालात में चुनावी उम्मीदवारों और राजनीतिक नेताओं को गंभीर सुरक्षा खतरे हैं। राजनीतिक हिंसा, धमकियों और हमलों की आशंका को देखते हुए हथियार लाइसेंस और गनमैन देना जरूरी है ताकि उम्मीदवार बिना डर के चुनावी गतिविधियों में हिस्सा ले सकें।
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मानवाधिकार संगठन HRSS की रिपोर्ट के मुताबिक, केवल पिछले नवंबर महीने में ही देशभर में राजनीतिक हिंसा की 96 घटनाएं दर्ज की गईं। इनमें 12 लोगों की मौत हुई और कम से कम 874 लोग घायल हुए। इन घटनाओं की वजह वर्चस्व की लड़ाई, टिकट विवाद और राजनीतिक दलों के भीतर गुटबाजी बताई गई है।